बादल का बरसना भी ज़रूरी है ,आंसू का ढ़लकना भी ज़रूरी है ,ज़रूरी है कभी ख़ामोशियां ,तो कभी बातों कालरज़ना भी ज़रूरी है।तू इश्क़ हैं अगर , तोअह़द कर ख़ुद से ,तेरा हर लम्हा ,होना भी जरूरी है। अश्कों को पीना , पिलाना बेहतर ,इन्हें आब ए ज़मज़म,बनाना भी ज़रूरी […]
हिन्दी कविता
बारिशें तो पहले भी हुआ करती थीं… भीगता तब भी था …पर आज कुछ अलग क्या है।
बारिशें तो पहले भी हुआ करती थीं…भीगता तब भी था …पर आज कुछ अलग क्या है।रब ने इंसान बनाया ..तो..दिल भी है..पता है कि धड़कता भी है …पर आज कुछ अलग क्या हैं और रात तो रोज़ हुआ करती है.. नींद भी थी..ख्वाब भी थे..पर आज कुछ अलग क्या है।यूं […]
कुछ कुछ उलझनों में ,उलझी हुई सी मैं , प्रश्नों और उत्तरों में, लिपटी हुई सी मैं ।
कुछ कुछ उलझनों में ,उलझी हुई सी मैं ,प्रश्नों और उत्तरों में, लिपटी हुई सी मैं ।ढूंढ रही हूं छोर , कोई तो सिरा मिले ,अंधेरे को चीरता हुआ ,रौशन दिया मिले ,हूं अगर मैं ग़लत , तो भी तुझको कुबूल हूं ,मुझ सा ही ग़लत , कोई मुझकोज़रा मिले […]
*आओ लौट चलें* क्या तुमने कभीे किया है प्रेम को प्रेम ! शायद तुम्हें पता भी न होगा प्रेम क्या है
*आओ लौट चलें*क्या तुमने कभीे किया है प्रेम को प्रेम ! शायद तुम्हें पता भी न होगा प्रेम क्या है,प्रेम एहसास है जहाँ न खोना है न पाना वहाँ तो बस देते जाना है,तुम हो कि तौलते रहते हो तराजू में प्रेम को व्यापारियों की तरह ,कोई तुम्हें या तुम […]
वो हवा थी,मेरे तन को छू करनिकल गई
वो हवा थी,मेरे तन को छू करनिकल गई,उसे क्या मालूममैंने, तो उसकीरूह को छुआ है।बीते सालों मेंबस इतना सा समझ पाया हूँ “राही”,’दुनिया’ जो समझती है ‘”गणित’” वो कभीअपनीसमझ में न आया।मैंने, तो वो सब किया, जोअपने कोसमझ आया…. (एन .पी . सिंह )
तुमको ढूंढ़ा गीतों में,ग़ज़लों और तरानों में , दिल बहलाने आते हो ,बस तुम मेरे ख्यालों में
तुमको ढूंढ़ा गीतों में,ग़ज़लों और तरानों में ,दिल बहलाने आते हो ,बस तुम मेरे ख्यालों में ।यूं मिल जाते हो साजन ,तुम कभी कभी राहों में ,लब पर जो है बात रुकी ,वो सिमट जाती है आहों में ।ये प्यार भी कैसा होता है ,ना इनकार हो,ना इकरार ,हर बात […]
कुछ कुछ मेरी हालत तुम्हारे जैसी है
कुछ कुछ मेरी हालत तुम्हारे जैसी है , पर सुनो ….. ये थोड़ी मेरे जैसी है , हज़ारों उलझने … उम्मीदों की कश्ती , महासागर में …….. कितने तूफ़ान , कितने भय ….. हर बार , छूटते छूटते बच जाती है , ज़िन्दगी की पतवार । ऊपर से नीचे , […]
सुबह की पहली किरण से, उस डूबती शाम तक
सुबह की पहली किरण से,उस डूबती शाम तक……ना जाने कितने रंगभरती थी मैं , ज़िन्दगी के ….हर पल ,हर क्षण ,कुछ बाकी ना रहता ।सब भाव , भंगिमाएं ,चटक ,सजीले दिन ,जीवन के ,बीत गयी सदियां ,थक गई मैं …..पर रंग भरना ना छूटा,उन्हें सजाया ,सवांराकुछ बाकी ना रह जाए […]
जो नज़र आता है वो अपना नहीं
जो नज़र आता है वो अपना नहीं, और जो अपना है वो नज़र आता नहीं। गुम हो गया हूँ कहीं “उजाले” में भाई, मुझसे मेरी पहचानकरा दे “राही” …..( एन. पी. सिंह )
यूँही नहीं चिराग़ मैंने, हवा में जला दिया..
यूँही नहीं चिराग़ मैंने, हवा में जला दिया….मुद्दतों से लड़ा हूँ लड़ाई, दुष्वारियों से मैं….न कभी अश्क़ बहाएन कभी शिकायत की है….ये मेरी अपनी खता है जो हिमाकत की है….नफ़रतों के दरम्यां दिलको दिल से मिला दिया….यूँही नहीं चिराग़ मैंने, हवा में जला दिया…. ………….(एन. पी. सिंह )