कुछ कुछ मेरी हालत तुम्हारे जैसी है , पर सुनो ….. ये थोड़ी मेरे जैसी है , हज़ारों उलझने … उम्मीदों की कश्ती , महासागर में …….. कितने तूफ़ान , कितने भय ….. हर बार , छूटते छूटते बच जाती है , ज़िन्दगी की पतवार । ऊपर से नीचे , नीचे से ऊपर , हिलोरें लगाती , मेरी बेबस जिंदगी …… दूर से दिख रहीं , वो दो मासूम कलियां , मुझे समन्दर को , पार करने को कहती हैं । पता नहीं …….. पर तुम इन्तज़ार करना , मेरी आखिरी सांस तक , शायद … ….. तुम तक पहुंच सकूं ….. मुरझाना नहीं
कल विराजेंगे हस्त नक्षत्र में गणपति, इस विधि से करें पूजा, बढेगी बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य
Fri Aug 21 , 2020
Spaka Newsपूरे दस दिनों तक गणपित बप्पा की पूजा अर्चना कि जाती है और ग्यारवें दिन गणेश जी को विसर्जित करके अगले बरस जल्दी आने की प्रार्थना की जाती है। कल यानि 22 अगस्त, शनिवार को विनायक चतुर्थी का पर्व है। यह पूरे भारत देश में बड़ी ही श्रद्धा और […]
