कुछ कुछ मेरी हालत तुम्हारे जैसी है , पर सुनो ….. ये थोड़ी मेरे जैसी है , हज़ारों उलझने … उम्मीदों की कश्ती , महासागर में …….. कितने तूफ़ान , कितने भय ….. हर बार , छूटते छूटते बच जाती है , ज़िन्दगी की पतवार । ऊपर से नीचे , नीचे से ऊपर , हिलोरें लगाती , मेरी बेबस जिंदगी …… दूर से दिख रहीं , वो दो मासूम कलियां , मुझे समन्दर को , पार करने को कहती हैं । पता नहीं …….. पर तुम इन्तज़ार करना , मेरी आखिरी सांस तक , शायद … ….. तुम तक पहुंच सकूं ….. मुरझाना नहीं
कल विराजेंगे हस्त नक्षत्र में गणपति, इस विधि से करें पूजा, बढेगी बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य
Fri Aug 21 , 2020