शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने पूर्व भाजपा सरकार पर प्रदेश के किसानों और बागवानों के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जय राम सरकार बागवानों को राहत पहुंचाने में हर मोर्चे पर विफल रही है। उन्होंने कहा कि जय राम सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान सेब के कार्टन बॉक्स पर जीएसटी कम करने को लेकर भी कोई पहल नहीं की।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के कुशल नेतृत्व में किसानों के हित में फैसले लेकर कृषि क्षेत्र को विशेष अधिमान दिया गया है। उन्होंने कहा कि सेब के कार्टन बॉक्स पर जीएसटी की दरों को 18 से 12 फीसदी किया जाना मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू और उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान के निरंतर प्रयासों का ही परिणाम है, जबकि जय राम ठाकुर की डबर्ल इंजन सरकार ने बागवानों के इस मुद्दे को कभी गंभीरता से नहीं लिया।
उन्होंने कहा कि जय राम सरकार के कार्यकाल में जीएसटी की दरें 18 फीसदी होने से कार्टन और ट्रे के दामों में बेतहाशा वृद्धि हुई और इसका खामियाजा बागवानों को भुगतना पड़ा, जबकि जय राम सरकार ने केंद्र सरकार के समक्ष कभी भी बागवानों का पक्ष नहीं रखा। प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार ने बागवानों के लिए कीटनाशी और अन्य दवाओं पर दी जाने वाली सब्सिडी को भी बहाल किया, जबकि जय राम सरकार ने इस सब्सिडी को बंद कर बागवानों पर आर्थिक बोझ डाला।
प्रदेश सरकार द्वारा 680 करोड़़ रुपये की राजीव गांधी स्टार्ट-अप योजना के तीसरे चरण के तहत राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना से रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। 36 हजार किसान अब तक प्राकृतिक खेती को अपना चुके हैं। उन्होंने कहा कि ई-उद्यान पोर्टल से अब तक 28,358 किसान लाभान्वित हो चुके हैं। इसके अलावा 100 करोड़ रुपये की लागत से बना प्रोसेसिंग प्लांट भी किसानों को समर्पित किया गया है।
इन सब निर्णयों से सरकार की किसानों को आत्म्निर्भर बनाने की प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है, जबकि पूर्व भाजपा सरकार ने किसानों के हितों के लिए दिखावे के अलावा कुछ भी नहीं किया।
उन्होंने कहा कि सरकार बागवानी क्षेत्र को सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध है। बीते वर्ष से प्रदेश के बागवान प्रति किलो के हिसाब से सेब बेच रहे हैं और यह सब सरकार की सुशासन प्रणाली से ही संभव हो पाया है।
इसके अलावा दुग्ध उत्पादन और पशुपालन को भी सुदृढ़ करने के लिए सरकार प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि हिमाचल देश का पहला राज्य है, जहां गाय और भैंस के दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है। पशुपालकों से गाय का दूध 45 रुपये प्रति लीटर और भैंस का दूध 55 रुपये प्रति लीटर की दर पर खरीदा जा रहा है। हिमगंगा योजना के तहत कांगड़ा में पूरी तरह स्वचालित दुग्ध संयत्र लगाया जा रहा है
प्रदेश सरकार ने बागवानी क्षेत्र के लिए इस वर्ष 531 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है, जिसके तहत सिंचाई योजनाओं का विकास और उच्च सघनता व उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में फलदार पौधे लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मंडी मध्यस्थता योजना के तहत किसानों को अब तक 153 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं, जिसमें जय राम सरकार के कार्यकाल का 90 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित था।
प्रदेश सरकार ने कई फलों के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी कर किसानों बागवानों को आर्थिक रूप सेे सशक्त किया है। पहली बार सेब और आम का समर्थन मूल्य 1.50 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ाया गया है। इसके अलावा सिट्रस प्रजाति के फलों किन्नु, माल्टा और संतरे के समर्थन मूल्य में भी 2.50 रुपये प्रति किलोग्राम की ऐतिहासिक वृद्धि के साथ 12 रुपये दाम तय किया गया है। नींबू और गलगल का समर्थन मूल्य दो रुपये बढ़ाकर अब इसके दाम 10 रुपये प्रतिकलो तय किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस सरकार ने 343 खरीद केंद्रों में बागवानों से 63.30 करोड़ मूल्य के 5,276 मीट्रिक टन फलों की खरीद की है। रोहित ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकर ने आपदा के दौरान सराहनीय कार्य कर सेब उत्पादक क्षेत्र की क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत और रखरखाव पर 110 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसके अतिरिक्त मानसून सीजन में नुकसान के लिए बागवानों को 12.92 लाख रुपये वितरित किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि आठ नई नियंत्रित वातावरण भंडारण (सीए) सुविधा इकाइयों से फलों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने और मौसम चक्र से होने वाले नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सल कार्टन व्यवस्था लागू होने से फ्रूट पैकिंग के मानदंड बनेंगे साथ ही परिवहन के दौरान होने वाला नुकसान कम होगा और गुणवत्ता बढ़ेगी। प्रतिस्पर्धा होने से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बागवानों को बेहतर दाम मिलेंगे। उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार यह सब व्यावहारिक समाधान देने में पूरी तरह विफल रही है, जबकि कांग्रेस सरकार ने पूरी सक्रियता के साथ हर समस्या का समाधान किया।