बादलों की क्रैश लैंडिंग *
तुमसे कहा था ना,
मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो।
बहने दो शीतल समीर को,
दूर तक फैली मनोरम घाटी में।
भीगने दो तन मन को,
सावन की रिमझिम बारिश में।
करने दो अठखेलियां बादलों को
सघन देवदारों में।
मैंने नहीं मांगें थे, सड़कों के माया जाल,
फोर लेन, कंक्रीट के जंगल
नदियों पर बांध, वनों के कटान,
भूमि क्षरण, अनवरत मकान आदि
पर तुमने कतई नहीं सुना..?
कर डाला अतिक्रमण,
बादलों के लैंडिंग स्पेस में।
नतीजा….
बादलों की क्रैश लैंडिंग
उत्तरकाशी हो या छोटी काशी,
धराली, केदारनाथ,थुनाग या फिर बगशाड ….?
* त्राहिमाम *
( एन. पी. सिंह )