निदेशक उद्योग डॉ. यूनुस ने जानकारी दी कि अवैध खनन से न केवल खनिज संसाधनों का अनियमित दोहन होता है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन, जल स्रोतों की सुरक्षा और बुनियादी ढांचे पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है। इस चुनौती को देखते हुए विभाग ने नीतिगत सुधार, सघन निगरानी और त्वरित कार्रवाई के समन्वित प्रयास शुरू किए हैं। हिमाचल प्रदेश में अवैध खनन पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए उद्योग विभाग ने कई ठोस और रणनीतिक कदम उठाए हैं। विभाग की भौमकीय शाखा राज्य में खनिज संसाधनों के वैज्ञानिक प्रबंधन, खनन अनुशासन और अवैध खनन की निगरानी के लिए विशेष रूप से कार्यरत हैं।
डॉ. यूनुस ने बताया कि भौमकीय शाखा द्वारा किए गए निरीक्षणों और अभियानों ने राज्य में खनन अनुशासन को नई दिशा दी है, जिससे न केवल अवैध गतिविधियों में कमी आई है, बल्कि खनिज संसाधनों के संरक्षण को लेकर जन विश्वास भी मजबूत हुआ है।
अप्रैल से जुलाई, 2025 के बीच, विभाग के फील्ड स्टाफ ने सभी जिलों में नियमित गश्त के साथ-साथ खनन दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में भी 900 से अधिक निरीक्षण किए हैं। इनमें वे स्थल भी शामिल थे, जहां नागरिकों ने कम्पलेंट सेल के माध्यम से अवैध खनन की सूचना विभाग को प्रदान की थी। इन अभियानों में स्थानीय पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों और तकनीकी विशेषज्ञों की संयुक्त भागीदारी सुनिश्चित की गई है।
कार्रवाई के दौरान विभाग ने 895 अवैध खनन मामले दर्ज किए गए हैं। इन पर 44,31,500 रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया, जिससे न केवल अवैध गतिविधियों पर रोक लगी बल्कि राज्य को राजस्व हानि से भी बचाया गया। साथ ही बहुत से मामलों में काननूी कार्रवाई आरम्भ की गई, ताकि दोषियों को न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से दंडित किया जा सके। इसके अतिरिक्त, अवैध खनन स्थलों को चिन्हित करके तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया, जिससे इन क्षेत्रों में अवैध खनन की संभावना पूरी तरह समाप्त हो गई है।
डॉ. यूनुस ने कहा कि खनिज संसाधनों का संरक्षण केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व भी है। विभाग ने यह सुनिश्चित किया है कि अवैध गतिविधियों को रोका जाए और उनके विरुद्ध ठोस कानूनी कार्रवाई की जाए।
उद्योग विभाग खनन अनुशासन को और अधिक पारदर्शी एवं तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है, ताकि राज्य की खनिज संपदा का दोहन पूणतः नियमानुसार हो और अवैध खनन की गतिविधियों को समाप्त किया जा सके।