देश की दूसरी सबसे पुरानी नगर परिषद (Municipal Counsil Nahan) में डीजल व पैट्रोल में लाखों के घोटाले (Scam) की तस्दीक हो गई है। सरकार ने मामले में कड़क एक्शन लिया है। आरोप साबित होने पर सरकार ने निर्णय लिया कि आउटसोर्स कर्मचारी को बर्खास्त किया जाए। साथ ही अनुबंध पर तैनात कनिष्ठ अभियंता सुनील शर्मा का काॅन्ट्रैक्ट रिन्यू न किया जाए।
इसके अलावा घोटाले में संलिप्त नगर परिषद के नियमित कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाने का निर्णय भी लिया गया हैै। बताया जा रहा है कि चार में से एक अधिकारी रिटायर हो चुका है, जबकि दूसरे का तबादला हो गया है।
इसके अलावा नगर परिषद के दो नियमित चालक भी घोटाले में संलिप्त रहे। करीब एक साल पहले नगर परिषद की चेयरपर्सन श्यामा पुंडीर व उपाध्यक्ष अविनाश गुप्ता की मौजूदगी में एक प्रतिनिधिमंडल ने शहरी विकास मंत्री से बात कर घोटाले की जांच की मांग उठाई थी।
सूत्रों का कहना है कि प्रतिनिधिमंडल ने ही इस घोटाले से जुड़े दस्तावेज उपलब्ध करवाए थे। हालांकि, ये नहीं पता चला है कि घोटाले की राशि कितनी थी, लेकिन ये आंकड़ा 6 से 8 लाख के बीच का हो सकता है।
शहरी विकास निदेशालय (Directorate of Urban Development) ने संयुक्त निदेशक राखी सिंह को इस मामले में जांच अधिकारी नियुक्त किया था। जानकारी के मुताबिक तीन सेवारत व एक रिटायर्ड अधिकारी को चार्जशीट पर जवाब देना होगा। इसके बाद ही अगली प्रोसिडिंग तैयार की जाएगी।
एक अहम जानकारी ये भी सामने आ रही है कि ऐसे वाहनों में उस समय डीजल व पैट्रोल डलवाया गया, जो सड़कों पर चलने योग्य ही नहीं थे। इसमें से एक ट्रक तो मेनटेनेंस के लिए पांवटा साहिब भी भेजा गया था। ऐसी भी आशंका है कि कोविड की आड़ में मिलीभगत से घोटाले को अंजाम दिया गया।
दीगर है कि कोविड के समय में संक्रमितों के मरने की स्थिति में अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी नगर परिषद की ही थी।
उधर, नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी संजय तोमर ने चालक राॅकी व कनिष्ठ अभियंता सुनील शर्मा की बर्खास्तगी की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि नियमित कर्मचारियों से जुड़े आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं।
इसी बीच एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में शहरी विकास विभाग के निदेशक मनमोहन शर्मा ने पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि आउटसोर्स कर्मचारी को बर्खास्त किया गया है, जबकि जेई के अनुबंध को विस्तार नहीं दिया गया है।
निदेशक ने कहा कि जांच रिपोर्ट सरकार को भेजी गई थी। मंजूरी मिलने के बाद ही कार्रवाई अमल में लाई गई है