प्रदेश में रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के कार्यान्वयन के लिए सचिव श्रम एवं रोजगार प्रियंका बसु इंग्टी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई।
बैठक का मुख्य उद्देश्य राज्य में इंप्लाइमेंट लिंक्ड इंसेन्टिव (ईएलआई) योजना के क्रियान्वयन की रणनीति बनाना, निर्बाध कवरेज सुनिश्चित करना और हितधारकों, विशेष रूप से संगठित क्षेत्र के नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच जागरूकता बढ़ाना था।
श्रम एवं रोजगार सचिव ने सामाजिक सुरक्षा और दीर्घकालिक रोजगार को प्रोत्साहित करने के महत्व पर बल दिया, जो ईएलआई योजना का मुख्य उद्देेश्य है। बैठक में नियोक्ता संघों, औद्योगिक निकायों और ट्रेड यूनियनों के साथ जागरूकता शिविर लगाने तथा संयुक्त कार्यशालाओं के आयोजन पर विस्तृत चर्चा की गई।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों एवं राज्य सरकार के विभागों ने ठेकेदारों के माध्यम से कर्मचारियों को नियुक्त किया है, लेकिन कई ठेकेदार ईपीएफ अधिनियम का अनुपालन नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य के श्रम विभाग द्वारा ईएलआई योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए ईपीएफओ के साथ समन्वय स्थापित किया जाएगा ताकि हिमाचल प्रदेश में अधिकतम नियोक्ता और कर्मचारी इसका लाभ उठा सकें। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के सभी उपक्रमों एवं राज्य सरकार के विभागों के आहरण एवं वितरण अधिकारियों के साथ ईपीएफ अनुपालन के संबंध में जल्द जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे।
क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त राकेश कुमार ने बताया कि ईपीएफ कार्यालय शिमला अपने सोशल मीडिया हैंडल पर भी प्रतिदिन ईएलआई योजना का विवरण अपडेट कर रहा है और नियोक्ताओं को भी ईमेल के माध्यम से योजना के बारे में जागरूक किया जा रहा है।
योजना के भाग-ए के तहत ईपीएफओ में पहली बार पंजीकृत कर्मचारियों को सरकार द्वारा दो किश्तों में 15,000 रुपये तक का एक महीने का ईपीएफ वेतन दिया जाएगा। केवल वे ही लोग पात्र होंगे जिनका एक महीने का वेतन एक लाख रुपये तक है। योजना की पहली किश्त छह महीने की सेवा के बाद देय होगी और दूसरी किश्त 12 महीने की सेवा के बाद तथा कर्मचारियों द्वारा वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम पूरा करने के बाद देय होगी।
योजना का भाग-बी सभी क्षेत्रों में अतिरिक्त रोजगार सृजन के संबंध में है जिसमें विनिर्माण क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इस योजना के तहत सरकार द्वारा नियोक्ताओं को दो वर्षों तक अतिरिक्त रूप से नियुक्त कर्मचारियों के लिए प्रतिमाह अधिकतम 3,000 रुपये तक का प्रोत्साहन दिया जाएगा। विनिर्माण क्षेत्र के लिए योजना का लाभ तीसरे एवं चौथे वर्ष के लिए भी दिया जाएगा।
श्रम आयुक्त डॉ. वीरेंद्र शर्मा भी बैठक में उपस्थित थे।