लोक निर्माण मंत्री ने सड़क निर्माण में सुरक्षा मापदंडों का कड़ाई से अनुपालन करने के निर्देश दिए

Avatar photo Spaka News
Spaka News

लोक निर्माण मंत्री ने सड़क निर्माण में सुरक्षा मापदंडों का कड़ाई से अनुपालन करने के निर्देश दिए लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने विभाग के अधिकारियों को सड़कों के निर्माण में सुरक्षा मापदंडों का कड़ाई से अनुपालन करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सड़कों के निर्माण के साथ-साथ उनकी गुणवत्ता भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। वह आज निर्माण भवन, शिमला में हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग द्वारा परिवहन विभाग और द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स, हिमाचल राज्य केन्द्र के सहयोग से सड़क सुरक्षा विषय पर विशेष जागरूकता अभियान के तहत आयोजित सेमिनार को सम्बोधित कर रहे थे।
लोक निर्माण मंत्री ने कहा ‘हमारा दायित्व सड़क निर्माण तक ही सीमित नहीं है बल्कि यात्रियों की सुरक्षा के दृष्टिगत कार्य निष्पादन में अभियांत्रिकी का सही उपयोग करना भी हमारा दायित्व है’। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा के दृष्टिगत सभी हितधारक विभागों की सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को दुर्घटना संभावित स्थलों व ब्लैक स्पॉट का अध्ययन कर उनका उचित समाधान करने के निर्देश भी दिए।
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा सुरक्षा अभियांत्रिकी को विशेष अधिमान दिया जा रहा है। उन्होंने सड़क सुरक्षा को योजना का अभिन्न अंग बनाने, सुरक्षा का नियमित ऑडिट करने और आटिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम मेधा) के उपयोग के महत्व पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार यात्रियों व पर्यटकों को बेहतरीन सम्पर्क सुविधा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, इसी ध्येय के साथ योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जा रहा है। उन्होंने केस स्टडी कर श्रेष्ठ तकनीकों को अपनाने के लिए भी कहा।

उन्होंने कहा कि सड़कें पहाड़ी राज्य की भाग्य रेखाएं हैं। प्रदेश के गठन के समय सड़कों की लम्बाई बहुत सीमित थी। वर्तमान में प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाया गया है। दूर-दराज के क्षेत्रों तक भी सड़क एवं सम्पर्क सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। पर्यटन राज्य होने के नाते प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण सड़कों का निर्माण नितान्त आवश्यक है। उन्होंने अभियन्ताओं से सड़क सुरक्षा के मध्यनज़र अपना श्रेष्ठ योगदान देने का भी आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा एक सामाजिक पहलू भी है। यात्रा के दौरान वाहन चालकों के साथ-साथ पैदल चलने वाले व्यक्तियों को भी सुरक्षा के दृष्टिगत जागरूक किया जाना चाहिए। इस संबंध में जागरूकता अभियान महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।  
लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियन्ता अजय गुप्ता ने कहा कि प्रदेश में अधिकांश सड़कों को स्तरोन्नत किया गया है। विभाग द्वारा सड़क सुरक्षा के दृष्टिगत अभियांत्रिकी पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
इस अवसर पर पंजाब अभियांत्रिकी महाविद्यालय चण्डीगढ़ के विभागाध्यक्ष डॉ. उमेश शर्मा, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय यूआईटी के निदेशक प्रो. ए.जे. सिंह, द इंस्टीट्यूटन ऑफ इंजीनियर्स, हिमाचल केन्द्र के अध्यक्ष वी.एम. जोशी, अतिरिक्त आयुक्त परिवहन नरेश ठाकुर ने भी सड़क सुरक्षा विषय पर व्याख्यान दिए।
सेमिनार में सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों और प्रदेशभर के विभिन्न अभियन्ताओं ने भाग लिया।                            .0.

भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की अधिकतम आबादी का नियमित आया का स्रोत खेती है। आज के समय में कृषि सबसे तेजी से बढ़ते व्यावसायिक क्षेत्र के रूप में उभर रही है। युवा पीढ़ी को कृषि की ओर आकर्षित करने के लिए आवश्यक है कि इसकी आधारिक संरचना का आधुनिक समय की मांग अनुसार विकास किया जाए। यह बात कृषि मंत्री प्रो. चंद्र कुमार ने कृषि विभाग द्वारा ‘कृषि अवसंरचना कोष’ योजना पर आयोजित हिमाचल प्रदेश राज्य स्तरीय कॉन्क्लेव में बतौर मुख्यातिथि कही। इससे पूर्व, उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर कॉन्क्लेव का शुभारम्भ किया।
उन्होंने बताया कि कृषि अवसंरचना कोष के माध्यम से प्रदेश में कृषि सम्बन्धी अधोसंरचना के विकास हेतु अधिकतम 9 प्रतिशत की ब्याज दर पर दो करोड़ तक के लोन पर तीन प्रतिशत ब्याज छूट दी जाती है। उन्होंने कहा कि कृषि में नवीन प्रौद्योगिकी, मशीनरी, अनुसंधान व उन्नत बीज के समावेश से किसानों को लाभान्वित करने के उद्देश्य में वांछित सफलता हासिल की जा सकती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कृषि क्षेत्र में पूंजीगत निवेश की अपार संभावनाएं हैं। यहां पर कोल्ड स्टोर, प्रोसेसिंग प्लांट्स, सॉर्टिंग व ग्रेडिंग यूनिट्स, पैकेजिंग यूनिट्स, वेयरहाउस और सप्लाई चेन सम्बन्धी अधोसंरचना आदि क्षेत्रों में निवेश कर लाभ अर्जित किया जा सकता है। इससे प्रदेश में रोजगार एवं स्वरोजगार के हजारों अवसर भी सृजित होंगे।
कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि कृषि अवसंरचना कोष के माध्यम से प्रदान की जा रही सुविधाओं के दायरे में विविधता लाने के साथ साथ लाभार्थियों तक इसके लाभ पहुंचाने की प्रक्रिया में सरलता लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस योजना का लाभ एकल खिड़की मंजूरी के माध्यम से सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
कृषि मंत्री ने कहा कि हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि ‘कृषि अवसंरचना कोष’ योजना समेत विभिन्न योजनाओं का लाभ छोटे, जरूरतमंद एवं गरीब किसान को आसानी से प्राप्त हो। इसके लिए योजना के लाभ घर-द्वार पर उपलब्ध किये जाने चाहिए। इससे किसान के समय एवं धन की बचत होगी। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि अवसंरचना कोष के तहत परियोजनाओं के लिए प्रदान की जाने वाली आर्थिक सहायता में बढ़ोतरी करने की आवश्यकता है ताकि इसके व्यवहारिक लाभ लोगों को मिल सके। उन्होंने प्रदेश में सिंचाई अवसंरचना के निर्माण पर भी बल दिया और कहा कि एक मजबूत और आधुनिक सिंचाई व्यवस्था के विकास से ही कृषि क्षेत्र में सम्पान्नता लायी जा सकती है।
कृषि मंत्री ने कहा की राज्य सरकार प्रदेश के किसानों के उत्थान के लिए हर संभव प्रयास कर रही है ताकि उनका संपन्न एवं सुनहरा भविष्य सुनिश्चित हो।  
इस अवसर निदेशक, कृषि अवसंरचना कोष, केंद्रीय कृषि मंत्रालय, के आर मीणा ने राज्य सरकार का इस आयोजन के लिए धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि इस योजना के प्रभावी कार्यान्वयन से कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि एक लाख करोड़ के प्रावधान के साथ वर्ष 2020 में इस योजना की शुरुआत की गयी थी। इस योजना के तहत प्रदान किये जा रहे लाभों को केंद्र और राज्य सरकारों की उपदानध्सबवेंशन की योजनाओं के साथ जोड़ा जा सकता है।
कृषि अवसंरचना कोष के तहत हिमाचल प्रदेश को 925 करोड़ रुपये आवंटित किये गए हैं। अब तक कुल 599 आवेदन प्राप्त हुए हैं जिनमे से 438 आवेदनों को सत्यापित किया जा चूका है। इनमें से 221 करोड़ रुपये के 324 आवेदनों को विभिन्न बैंको से स्वीकृति मिल चुकी है और 67 करोड़ रुपये लाभार्थियों को प्रदान किये जा चुके हैं।
इस अवसर पर सचिव, कृषि विभाग, सी पालरासु, संयुक्त निदेशक, कृषि विभाग, रघबीर सिंह व जीत सिंह ठाकुर, डीजीएम, नाबार्ड, संजीव शर्मा, राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजक प्रदीप केसरी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।


Spaka News
Next Post

एसजेवीएन की 60 मेगावाट एनएमएचईपी की पहली यूनिट ने वाणिज्यिक उत्पादन प्रारम्भ किया

Spaka Newsश्री नन्द लाल शर्मा अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एसजेवीएन ने अवगत करवाया कि उत्तराखंड में 60 मेगावाट की नैटवाड़मोरी जलविद्युत परियोजना ने आज 30 मेगावाट क्षमता की पहली यूनिट ने सफलतापूर्वक वाणिज्यिक प्रचालन तिथि(सीओडी) हासिल कर ली है। यूनिट ने सभी आवश्यक परीक्षणों एवं राष्ट्रीय ग्रिड के साथ सफल […]

You May Like