भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि यानी 17 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू होने जा रहा है। पितृ पक्ष को श्राद्ध के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। श्राद्ध में तीन पीढ़ियों तक पितरों को तर्पण और पिंडदान देने का विधान है। तर्पण और पिंडदान पितरों की पुण्य (मृत) तिथि पर दिया जाता है। श्राद्ध में तर्पण के जरिये ही पितरों का ऋण चुकाया जा सकता है। इससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पिंडदान में पितरों को भोजन का दान दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष यानी पूर्वज श्राद्ध में गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी या देवताओं के रूप में आकर भोजन ग्रहण करते हैं। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान भोजन के पांच अंश निकालने का विधान है।
कब कौन सा होगा श्राद्ध
पूर्णिमा का श्राद्ध- 17 सितंबर
प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध – 18 सितंबर
द्वितीया तिथि का श्राद्ध – 19 सितंबर
तृतीया तिथि का श्राद्ध – 20 सितंबर
चतुर्थी तिथि का श्राद्ध – 21 सितंबर
पंचमी तिथि का श्राद्ध – 22 सितंबर
षष्ठी और सप्तमी तिथि का श्राद्ध – 23 सितंबर
अष्टमी तिथि का श्राद्ध – 24 सितंबर
नवमी तिथि का श्राद्ध – 25 सितंबर
दशमी तिथि का श्राद्ध – 26 सितंबर
एकादशी तिथि का श्राद्ध – 27 सितंबर
द्वादशी तिथि का श्राद्ध – 29 सितंबर
त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध – 30 सितंबर
चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध – 1 अक्तूबर
सर्व पितृ अमावस्या, पितृ पक्ष समाप्त- 2 अक्तूबर को होगा। कुछ लोग हरिद्वार जाकर भी श्राद्ध कराते हैं।
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Mon Sep 16 , 2024