ऊना। भगवान का घर ही एक ऐसी जगह है, जहां अमीरी गरीबी नहीं देखी जाती। लेकिन हिमाचल के सबसे धनवान मंदिरों में शुमार प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां चितंपूर्णी के दरवार में अब वहां के प्रबंधन ने अमीरी गरीबी की खाई पाटने का काम शुरू कर दिया है। ऊना जिला में स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां चिंतपूर्णी के दरबार में अब 1100 रुपए की पर्ची से वीवीआईपी दर्शन किए जा सकेंगे।
चितंपूर्णी मंदिर ट्रस्ट ने शुरू की नई व्यवस्था
चितंपूर्णी मंदिर ट्रस्ट की तरफ से शुरू की गई इस व्यवस्था के अनुसार अब 1100 की पर्ची में 5 लोगों को वीवीआईपी दर्शन होंगे। इन लोगों को पहले तो मंदिर न्यास बाबा श्री माई दास सदन में बने वेटिंग हॉल में बैठाया जाएगा, फिर वहां से उन्हें वीवीआईपी इलेक्ट्रिक गोल्फ कार्ट से मंदिर की लिफ्ट पहुंचाया जाएगा। जहां से वह मां के दर्शन कर सकेंगे।
मंदिर प्रबंधन ने बनाई चार कैटेगरी
मंदिर प्रबंधन द्वारा शुरू की गई इस नई व्यवस्था के अनुसार चार कैटेगरी बनाई गई है। जिसमें पहले तो 1100 में पांच लोगों को वीवीआईपी दर्शन करवाए जाएंगे। दूसरे वर्ग में 65 साल से ऊपर के बुजुर्ग लोगों को एक सहायक के साथ 50 रुपए में दर्शन करने की सुविधा मिलेगी।
दिव्यांगों से भी लिए जाएंगे पैसे
वहीं तीसरी श्रेणी दिव्यांगों के लिए रखी गई है। दिव्यांग भी अपने साथ एक सहायक लेकर मंदिर में वीवीआईपी दर्शन कर सकेगा। उसे इसके लिए 50 रुपए अदा करने होंगे। वहीं चौथी श्रेणी में मंत्री, सांसद और विधायक रखे गए हैं। यह सभी लोग बिना किसी शुल्क के मां के दर्शन कर सकेंगे।
1100 में होंगे वीवीआईपी दर्शन
जानकारी देते हुए एसडीएम विवेक महाजन ने बताया कि यह व्यवस्था परीक्षण के चरण में है। उन्होंने बताया कि मंगलवार से इस व्यवस्था को लागू किया गया है। अभी इसे ट्रायल के तौर पर शुरू किया गया है। उन्होंने बताया कि वीवीआईपी दर्शन के लिए एक दिन में 500 पास बनाने की ही अनुमति दी जाएगी।
एसडीएम विवेक महाजन ने बताया कि मंदिर में हवन करने के लिए भी श्रद्धालुओं को ऑनलाइन बुकिंग करवाने की सुविधा मिलेगी। वहीं श्रद्धालुओं को ऑनलाइन प्रसाद घर तक पहुंचाने के लिए भी ऑनलाइन बुकिंग की व्यवस्था की जा रही है।
तेज धूप में लंबी लाइनों में खड़े भक्तों के लिए बनेगी मुसिबत
अगर अब मंदिर प्रबंधन की चार श्रेणियों की बात करें तो ऊना जिला में पड़ने वाली कड़क धूप में खड़े श्रद्धालुओं के लिए यह व्यवस्था नासूर बन सकती है। वहीं एक बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या मंत्री सांसद और विधायक पहले लाइनों में लगते थे, जो अब लगेंगे। वहीं मंदिर प्रशासन दिव्यांगों से पैसे लेकर कौन सा खजाना भरना चाहता है।