श्री अनिल जोशी (आईएफएस) सदस्य सचिव, हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 26-28 अप्रैल 2023 के दौरान मुंबई में आयोजित तीसरे प्लास्टिक रीसाइक्लिंग सम्मेलन एशिया 2023 में हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया…..

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श्री अनिल जोशी (आईएफएस) सदस्य सचिव, हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 26-28 अप्रैल 2023 के दौरान मुंबई में आयोजित तीसरे प्लास्टिक रीसाइक्लिंग सम्मेलन एशिया 2023 में हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया और प्लास्टिक कचरा प्रबंधन (पुनर्नवीनीकरण और गैर-पुनर्नवीनीकरण) के वैज्ञानिक निपटान को सुनिश्चित करने में हिमाचल प्रदेश की वर्तमान स्थिति साझा की। श्री जोशी ने पैनल चर्चा में भी भाग लिया, जिसमें उन्होंने मौजूदा नीतियों और परिवर्तनों के संबंध में प्लास्टिक कचरे के नियमन पर अपने विचार रखे तथा मौजूदा अपशिष्ट प्रबंधन को और अधिक सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने आगे कहा कि हिमाचल प्रदेश प्लास्टिक कचरा प्रबंधन से निपटने में हमेशा अग्रणी राज्य रहा है, जहां राज्य ने 1995 में हिमाचल प्रदेश गैर-जैव निम्नीकरणीय कचरा नियंत्रण अधिनियम नामक कानून बनाया था। तत्पश्चात 2009 में सभी प्रकार के प्लास्टिक कैरी बैग पर प्रतिबंध लगाकर तथा 2019 को एकल उपयोग प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाकर प्रदेश ने पूरे देश में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन में अग्रणी स्थान हासिल किया। तदोपरांत पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार ने भी 2021 को एकल उपयोग प्लास्टिक के प्रतिबन्ध की अधिसूचना जारी की। उपरोक्त के आलावा, प्रदेश ने गैर-पुनर्नवीनीकरण योग्य प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए 2019 के दौरान अभिनव “प्लास्टिक बाय बैक नीति” को लागू करने और प्लास्टिक पैकिंग कचरे के प्रबंधन के लिए ईपीआर दिशानिर्देशों को लागू करने में भी अग्रणी भूमिका निभाई।

श्री जोशी ने मौजूदा नीति में खामियों के साथ-साथ ठोस और प्लास्टिक कचरे के वैज्ञानिक निपटान के प्रबंधन में राज्य के सामने आने वाली चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों में कचरे के 100% पृथक्करण, संग्रहण और परिवहन के चुनौतियों को शतशः पूरा करने और शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) में कचरे के संरचनागत सर्वेक्षण करने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि स्थानीय निकायों को ईपीआर तंत्र के लूप में डालने और गैर-पुनर्चक्रण योग्य प्लास्टिक कचरे के लिए राज्य की प्लास्टिक बाय बैक नीति के कार्यान्वयन को बढ़ावा देने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने आगे उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड मालिकों (पीआईबीओ) के लिए राज्य-विशिष्ट लक्ष्यों के संबंध में ईपीआर प्रमाणपत्र की खरीद में ईपीआर तंत्र में मौजूदा अंतर को पाटने पर जोर दिया।

अंत में, उन्होंने प्लास्टिक अपशिष्ट पुनर्चक्रण से जुड़े उद्यमियों के साथ औपचारिक बैठक भी की और हिमाचल प्रदेश में निवेश के लिए आमंत्रित किया।


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