चील जंगल में कुदरत के ढहाए सितम के बीच जिंदगी की तलाश गुरुवार को सुबह चार बजे से शुरू होकर देर शाम तक जारी रही, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी। अंतिम समाचार मिलने तक चार शव तो बरामद हुए, परंतु किसी को जीवित बचाने में कोई कामयाबी नहीं मिल सकी। सरकारी प्रवक्ता के अनुसार मलबे के ढेर में अब भी 15 से 20 के करीब और लोगों के होने की आशंका है। अब तक कुल 13 शव भारी मलबे से निकाले जा चुके हैं। जो शव बरामद हुए हैं, उनकी हालत दिल दहला देने वाली है। किसी का सिर कटा है, किसी का हाथ, तो किसी की टांग। कुछ शव तो इतने विक्षिप्त हो गए हैं कि देखकर दिल पसीज रहा है। भारी चट्टानों के बीच सबसे बड़ी चिंता एचआरटीसी बस की तलाश है। बस घटनास्थल से 500 मीटर दूर मिल रही है, लेकिन उसका पुर्जा-पुर्जा अलग-अलग मिल रहा है।
एनडीआरएफ, आईटीबीपी, पुलिस, होमगार्ड और स्थानीय लोगों की टीम बुधवार से घटनास्थल का एक-एक चप्पा छान रही है। तीव्र ढलान, ऊपर से लगातार गिरते पत्थर और नीचे दिल दहलाती सतलुज किसी भी बचाव कर्मी का उत्साह तोड़ने का काम तो कर रही है, पर जांबाजों की टीम इन चुनौतियों का फटकने नहीं दे रही है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर समेत कई नेता और प्रशासनिक अधिकारी गुरुवार को हादसे वाली जगह पहुंचे और राहत व बचाव कार्यों में लगे लोगों का हौसला बढ़ाया। परिचालक के मुताबिक बस में 24 लोग सवार थे, ऐसे में आशंका व्यक्त की जा रही है कि इस हादसे में मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है। आईटीबीपी के डिप्टी कमांडेंट धर्मेंद्र ठाकुर ने बताया कि गुरवार सुबह चार बजे से रेस्क्यू आपरेशन शुरू कर दिया गया था। किन्नौर में बुधवार को हुए हादसे में फंसे हुए लोगों को तलाशने का काम आइटीबीपी की तीन टुकडि़यां कर रही हैं।