हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राज्य में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन की स्थिति की आज समीक्षा बैठक की……

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अध्यक्ष, हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राज्य में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन की स्थिति की आज समीक्षा बैठक की। प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2016 में अधिसूचित किया गया था। इस नियम को “प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2022” के नाम से हाल ही में संशोधन किए गए हैं जिसे 16 फरवरी 2022 को अधिसूचित किया गया है। इन संशोधनों का मुख्य उद्देश्य प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे का उचित प्रबंधन सुनिश्चित करना है, जो हाल के वर्षों में एक प्रमुख पर्यावरणीय चिंता बन कर उभरा है। इस संशोधन का उद्देश्य उत्पन्न प्लास्टिक कचरे की मात्रा को कम करना और प्लास्टिक कचरे के पुनर्चक्रण और उचित निपटान को बढ़ावा देना है।

यह नियम, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा विकसित केंद्रीकृत विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) पोर्टल पर उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड-मालिकों (PIBOs) और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रसंस्करण-कर्ता (PWP) के पंजीकरण को अनिवार्य करते हैं। सभी PIBOs को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2022 के तहत CPCB द्वारा विकसित ईपीआर पोर्टल पर पंजीकरण करना आवश्यक है। इस पंजीकरण प्रक्रिया में किसी संगठन द्वारा उत्पादित, आयातित या बेचे जाने वाले प्लास्टिक उत्पादों के प्रकार और मात्रा के बारे में विवरण प्रदान करना शामिल होगा। साथ ही प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए किए गए उपायों की जानकारी होगी। इससे केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को विभिन्न संगठनों द्वारा उत्पन्न प्लास्टिक कचरे पर नज़र रखने और इसे प्रबंधित करने के उनके प्रयासों की निगरानी करने में मदद मिलेगी।

यह नियम, विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) लक्ष्य को पूरा करने के लिए PIBOs को भी अनिवार्य करता है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि निर्माता और ब्रांड मालिक अपने उत्पादों के पूरे जीवनकाल के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार हैं। इन लक्ष्यों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि निर्माता अपने उत्पादों के जीवन के अंत तक के प्रबंधन की जिम्मेदारी लें। PIBOs को इन लक्ष्यों को पूरा करने की आवश्यकता है, जिसमें प्लास्टिक कचरे का संग्रह, पृथक्करण, पुनर्चक्रण, पुन: उपयोग और निपटान जैसे उपाय शामिल हैं, साथ ही साथ प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचा प्रदान करना भी शामिल है।

EPR लक्ष्यों का उद्देश्य PIBO को प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने और स्थानीय सरकारों पर बोझ को कम करने के लिए प्रोत्साहित करना है। यह देखा गया है कि राज्य में लगभग 800 प्लास्टिक अपशिष्ट पैकेजिंग इकाइयां (उत्पादक, आयातक, ब्रांड मालिक और रिसाइकलर) कार्यरत हैं। ऐसी 800 इकाइयों में से केवल 84 (जिसमें उत्पादक, आयातक, ब्रांड मालिक और रिसाइकलर शामिल हैं) इकाइयों ने ही प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के तहत पंजीकरण प्राप्त करने के लिए ईपीआर पोर्टल पर आवेदन किया है। राज्य बोर्ड के सभी क्षेत्रीय अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया कि मानदंडों का पालन सुनिश्चित करने के लिए ऐसी सभी इकाइयां जल्द से जल्द मानदंडों के अनुसार ईपीआर पोर्टल पर पंजीकृत हों। इन इकाइयों को इस आशय के निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं।

इसलिए, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष ने 4 फरवरी, 2023 को दिशा निर्देश जारी किया कि इन सभी उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड-मालिकों (PIBOs) और प्लास्टिक वेस्ट प्रोसेसर्स (PWPs) को EPR पोर्टल पर पंजीकरण के लिए पूर्ण विवरण के साथ आवेदन जमा करना अनिवार्य होगा। ईपीआर पंजीकरण के तहत निर्दिष्ट अपने ईपीआर लक्ष्यों के संबंध में सभी PIBOs अपने लक्ष्यों को पूरा करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे को एकत्र किया जाता है, अलग किया जाता है और उचित निपटान और प्रमाण-पत्र के खरीद के लिए प्लास्टिक अपशिष्ट प्रोसेसर के साथ समझौता करके प्लास्टिक अपशिष्ट प्रोसेसर तक पहुंचाया जाता है। यदि प्लास्टिक को अन्य राज्य के रिसाइकलरों को भेजा जा रहा है, तो PIBOs को राज्य बोर्ड को संग्रह, बुनियादी ढांचे और परिवहन के संबंध में विवरण प्रदान करना आवश्यक है। PIBOs केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या प्रदूषण नियंत्रण समिति के साथ विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व के तहत दायित्वों को पूरा करने के लिए एकत्र किए गए और संसाधित प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे पर वार्षिक रिटर्न वित्तीय वर्ष के ३० जून तक दाखिल करेंगे। सभी PWP यह सुनिश्चित करेंगे कि प्लास्टिक अपशिष्ट प्रसंस्करणकर्ताओं द्वारा संसाधित प्लास्टिक कचरे की कुल मात्रा वार्षिक आधार पर उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड-मालिकों जनित कचरे की मात्रा से मेल खाए, जिसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा विकसित केंद्रीकृत पोर्टल तथा PWPs की वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराया जाएगा।


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