एक तरफ महंगाई की मार से मिड डे मील को पुराने तय दामों में बनाना मुसीबत बना हुआ है और दूसरी तरफ मिड डे मील का राशन और गैस खरीदने के लिए आने वाली डाईट मनी की राशि भी तीन माह से जारी नहीं हुई है। हालात ये हैं कि फरवरी से अप्रैल माह तक का मिड डे मील का ये बजट स्कूलों को नहीं दिया गया है और दुकानों से उधार उठा रहे शिक्षकों को अब दुकानदार भी उधार नहीं दे रहे। एलपीजी सप्लाई में उधार की कोई गुंजाइश नहीं है।
नतीजा ये है कि मिड डे मील के बिलों का भुगतान अधिकांश क्षेत्रों में शिक्षक अपनी जेब से कर रहे हैं और बजट कब मिलेगा, इसका कोई अनुमान नहीं है। मिड डे मील वर्कर्स को तो मानदेय डालने के बिल चार माह हेतु बनाए जा रहे हैं। मगर राशन व गैस के बिल के भुगतान की प्रक्रिया अधर में लटकी है। ऐसे में मिड डे मील के मगर राशन व गैस के बिल की अदायगी हेतु शीघ्र बजट जारी करने की मांग प्रारम्भिक शिक्षा विभाग से राजकीय टीजीटी कला संघ ने उठाई है और इस मामले को उच्च प्राथमिकता के आधार पर हल करने की गुजारिश की है क्योंकि उधार का मिड डे मील पकाना अब जटिल हो चुका है।
संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कौशल व प्रदेश महासचिव विजय हीर ने कहा कि जेब से भुगतान करने वाले शिक्षकों को यह राशि वापिस प्राप्त करने में ख़ासी दिक्कत आती है। मंहगाई के चलते वस्तुओं के दाम बहुत बढ़ चुके हैं मगर दाल के लिए 69 रूपये प्रति किलो, नमक 15 रुपए प्रति किलो, मसाला 290 रुपए प्रति किलो, तेल 118 रुपए प्रति लीटर, चीनी 40 रुपए प्रति किलो, सूखे मेवे 240 रुपए प्रति किलो, प्याज 20 रुपए प्रति किलो और न्यूट्री बड़ी 50 रुपए प्रति किलो के रेट से खरीदने का काम मुश्किल हो चुका है क्योंकि इन दामों पर राशन किसी दुकान में नहीं मिलता है।
अप्पर प्राईमरी में एलपीजी रेट 2 रुपए 72 पैसे प्रति विद्यार्थी है यानि हज़ार रुपएसे भरे जाने वाले सिलिन्डर से भी गुज़ारा चलाना मुश्किल है और बजट न आने से स्थिति बिगड़ चुकी है। विभागीय मानकों के अनुसार प्राथमिक स्कूलों में प्रति विद्यार्थी 100 ग्राम चावल, 30 ग्राम दाल, 60 ग्राम सब्जी, 5 ग्राम तेल, 5 ग्राम 5 ग्राम सोया बड़ी आदि देय है और अप्पर प्राईमरी में प्रति विद्यार्थी 150 ग्राम चावल, 40 ग्राम दाल , 85 ग्राम सब्जी , 7.5 ग्राम तेल, चीनी 60 ग्राम, 6 ग्राम सूखा मेवा , 13 ग्राम सोया बड़ी, 15 ग्राम प्याज आदि देय है।
इन सभी पदार्थों के रेट 14 अप्रैल , 2020 को संशोधित किए गए थे, जिसके अनुसार प्राथमिक स्कूलों के मिड डे मील हेतु केंद्र सरकार 2 रुपए 98 पैसे प्रति विद्यार्थी व राज्य सरकार 1 रुपए 99 पैसे मिलाकर कुल 4 रुपये 97 पैसे प्रति विद्यार्थी बजट तय है और अप्पर प्राथमिक स्कूलों के मिड डे मील हेतु केंद्र सरकार 4 रुपये 47 पैसे प्रति विद्यार्थी व राज्य सरकार 2 रुपए 98 पैसे मिलाकर कुल 7 रुपए 45 पैसे प्रति विद्यार्थी बजट तय है।
ऐसे में जहां विद्यार्थियों की संख्या अधिक है, वहां 3 माह का बिल काफी ज्यादा है और बजट न आने से मिड डे मील बनाना मुश्किल हो गया है। अक्तूबर 2021 में स्कूलों से मिड डे मील की सारी राशि प्रारम्भिक शिक्षा विभाग ने वापिस लेकर खाते शून्य कर दिए थे और अब इन खातों में पेमेंट नहीं आने से योजना ही संकट में है।