कई बार कुदरत भी इन्सान के समक्ष ऐसी परिस्थितयां पैदा कर देती है कि वह न चाहते हुए भी दूसरों से मदद की अपेक्षा रखता है। उसे यही उम्मीद होती है कि दानी सज्जन आगे आएंगे और उसकी मदद करेंगे। इससे वह अपने स्वजन का इलाज करवा सकेगा।
मंडी जिला के सुंदरनगर हलके के तहत धार गांव की 22 वर्षीय मनीषा के दिल में छेद है। मनीषा 12 दिन से इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) शिमला में दाखिल है। परिवार की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। मजबूरी में पढ़ाई भी छूट गई है। मनीषा के पिता दिव्यांग व बेरोजगार हैं। इलाज के लिए गहने तक बिक चुके हैं।अस्पताल में दवा का खर्च चलाना भी अब मुश्किल हो रहा है।
मनीषा की जो दवाएं उसे कुछ राहत दे सकती हैं, वे भी काफी महंगी हैं। हर माह मनीषा की दवाइयों का खर्चा 15 से 20 हजार रुपए तक हो रहा है। बीमारी के कारण बेटी की पढ़ाई तक छूट गई है। अगर एक टाइम भी दवा न दी जाए तो उसके शरीर का रंग नीला पड़ने लगता है।
महिला ने कहा कि बेटी के इलाज के लिए उसने अपने सभी गहने तक बेच दिए हैं। महिला का पति भी अपंग है और बेरोजगार है। लीला देवी ने बताया कि वह खुद भी बीमार रहती है। घर में गरीबी के कारण अब राशन लेने की भी दिक्कत होने लगी है। उसने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया है कि वह उसकी बेटी के इलाज के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से फंड उपलब्ध करवाएं ताकि बेटी को इस बीमारी से कुछ राहत मिल सके। महिला का कहना है कि वह काफी ज्यादा परेशान है क्योंकि अब दवाइयां खरीदने के लिए पैसे भी नहीं बचे हैं।