25 जून 2010 को पांवटा साहिब में दीपाली का सुसाइड नोट गत्ते के टुकड़ो-टुकड़ों में पुलिस को मिला था। पंखे से लटककर मौत को गले लगाने वाली दीपाली को नाहन में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश डाॅ. अबीरा बसु की अदालत में करीब साढ़े 11 साल बाद न्याय मिल गया है। अदालत ने मृतका के पति आनंद सिंह को दोषी करार दिया है। आत्महत्या के लिए उकसाने व सबूत मिटाने पर दोषी को 7-7 साल की सजा के आदेश हुए हैं। साथ ही दोषी को 30 हजार का जुर्माना भी अदा करना होगा।
26 जून 2010 को पांवटा साहिब पुलिस ने मध्य प्रदेश के रहने वाले पीड़िता के पिता श्यामराज की शिकायत पर आनंद के खिलाफ आत्महत्या के उकसाने का मुकद्मा दर्ज करवाया था। शिकायत के मुताबिक उसकी बड़ी बेटी दीपाली की शादी आनंद सिंह के साथ 17 फरवरी 2009 को हुई थी। इसके बाद आनंद बेटी को उत्तर प्रदेश में अपने घर फरीदा ले गया। 26 फरवरी 2009 को आनंद उसे चंडीगढ़ ले आया। क्वार्टर में कोई भी घरेलू सामान नहीं था, लिहाजा श्याम राज ने ही आनंद को 40 हजार रुपए दिए। चंद रोज बाद ही आनंद ने दीपाली को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। साथ ही ये भी कहने लगा कि तुम आत्महत्या कर लो।
25 मई 2009 को आनंद ने दीपाली को पिता के घर छोड़ दिया। इसके बाद दीपाली ने बद्दी में आकर नौकरी शुरू कर दी। 24 जून 2010 को आनंद दीपाली को बद्दी से पांवटा ले आया। शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि आनंद ने ही 25 जून 2010 को उसे सूचित किया कि दीपाली ने आत्महत्या कर ली है। तत्कालीन थाना प्रभारी बीडी भाटिया द्वारा मामले की तफ्तीश की गई। तफ्तीश के दौरान पुलिस ने पंखे से लटका दुपट्टा, मोबाइल व सिम बरामद किए।
जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि कमरे से दाहिनी तरफ घर की बाउंडरी दीवार की तरफ गत्ते के टुकड़े पडे़ हुए हैं। दरअसल, इन टुकड़ों पर सुसाइड नोट लिखा हुआ था, जिसे दोषी द्वारा फाड़कर फैंका गया था। गत्ते के टुकड़ों को मौके पर ही सील कर दिया गया। तहसीलदार की मौजूदगी में फटे हुए गत्ते के टुकड़ों को तहसीलदार के समक्ष जोड़ा गया। जिसमें ये लिखा पाया गया कि ये सब आनंद की वजह से हुआ है। मृतका की डायरी भी बरामद की गई। सुसाइड नोट व डायरी की हैंडराइटिंग का मिलान किया गया। इसमें ये साफ हो गया कि सुसाइड नोट मृतका द्वारा ही लिखा गया था।
उप जिला न्यायवादी एकलव्य ने बताया कि इस केस में कुल 18 गवाह पेश हुए। उन्होंने बताया कि सुसाइड नोट नष्ट करने व दीपाली को आत्महत्या को मजबूर करने के लिए दोषी को 7-7 साल व 30 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई है। जुर्माना अदा न करने की सूरत में दोषी को एक माह का कठोर कारावास भी भुगतना होगा। ये सजाएं साथ-साथ चलेंगी।