मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश से लकड़ियों की तस्करी से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए वन विभाग की चौकियों को पुलिस सीमा चौकियों के साथ एकीकृत करने के निर्देश जारी किए हैं। मुख्यमंत्री ने आज यहां वन विभाग की बैठक की अध्यक्षता करते हुए इमारती लकड़ी की तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए इन एकीकृत चौकियों पर सीसीटीवी निगरानी सहित अत्याधुनिक तकनीक अपनाने पर बल दिया।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इमारती लकड़ी की तस्करी से राज्य सरकार को राजस्व की हानि होती है। उन्होंने वन विभाग को लकड़ी के अवैध व्यापार पर रोक लगाने के लिए सक्रिय एवं कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वन और पुलिस चौकियों के एकीकरण से व्यापक निगरानी एवं इमारती लकड़ी चोरी के विरूद्ध प्रभावी कदम सुनिश्चित होंगे।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के जंगल उत्तरी भारत को प्राणवायु प्रदान करते हैं और वन राज्य की मूल्यवान संपत्ति हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुई भारी बारिश से प्रदेश की वन सम्पदा को भारी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने वन विभाग को वन भूमि में गिरे पेड़ों को तुरंत हटाने और उनका उचित निपटान सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए।
मुख्यमंत्री ने राज्य के पांच वन मण्डलों में खैर के पेड़ों की कटाई की कार्य योजना की भी समीक्षा की। उन्होंने कहा कि वन विभाग इस कार्य योजना पर तत्परता से काम करते हुए बरसात का मौसम समाप्त होने के उपरान्त समयबद्ध तरीके से इसे क्रियान्वित करना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस वर्ष मई माह में प्रदेश के पांच वन मण्डलों ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, नालागढ़ और कुटलैहड़ में खैर के पेड़ों के कटान की अनुमति प्रदान की गई है।
बैठक में मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, प्रधान सचिव अमनदीप गर्ग, सचिव (गृह) डॉ. अभिषेक जैन, विधि सचिव शरद लगवाल, पीसीसीएफ (हॉफ) राजीव कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।