मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू 16 मार्च को विधानसभा में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपना पहला बजट प्रस्तुत करेंगे। उनके इस पहले बजट में सरकार का विजन (दृष्टिकोण) सामने आएगा कि उसे किस दिशा में आगे बढ़ना है। सरकार के सामने इस समय सबसे कठिन स्थिति हिमाचल प्रदेश को बढ़ते कर्ज के मायाजाल से बाहर निकालना है, ऐसे में बजट में अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने की दिशा में आगे बढ़ने की झलक देखने को मिल सकती है। इसके अलावा पशुपालन, कृषि, बागवानी और रोजगार सृजन पर भी बजट में फोकस रह सकता है।
मुख्यमंत्री श्रमिक वर्ग के हितों को ध्यान में रखकर दिहाड़ी को बढ़ाने की घोषणा भी कर सकते हैं, साथ ही ड्रोन टैक्नोलॉजी का लाभ उठाने की दिशा में भी सरकार की तरफ से कदम आगे बढ़ाए जाने की संभावना है। सरकार पर्यटन क्षेत्र को भी विशेष महत्व दे रही है, ऐसे में इसके लिए बजट में पहले की अपेक्षा कहीं अधिक बढ़ौतरी हो सकती है। वहीं कर्मचारियों की पुरानी पैंशन बहाली के बाद वेतन आयोग से संबंधित वित्तीय अदायगी को निपटाने और महिलाओं को 1500 रुपए प्रतिमाह देने की दिशा में कोई घोषणा हो सकती है।
सरकार को विकास कार्य के लिए धनराशि जुटाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी। मौजूदा वित्तीय हालात की बात करें तो 31 मार्च, 2023 को समाप्त होने जा रहे वित्त वर्ष के बजट में विकास कार्य के लिए 100 रुपए में से 29 रुपए रखे गए हैं। इसके अलावा वेतन पर 26 रुपए, पैंशन पर 15 रुपए, ऋण अदायगी पर 11 रुपए व ब्याज अदायगी पर 10 रुपए रखे गए हैं। ऐसे में आगामी बजट में किस मद के लिए कितनी राशि मिल पाती है, यह देखना महत्वपूर्ण रहेगा। इस स्थिति में प्रदेश की केंद्र प्रायोजित योजनाओं पर ही अधिक निर्भरता रहेगी।