अब मै समझ गया हूँ मआशरे के उसूलों कोनहीं संभालता तो, मै उस कीचड़ मे गिर जाता। न दी तवज्जो उनके बे-तुके गुफ़्तगू कोजो होता शरीक उसमे, तो गुनहगार मै बन जाता। न दे इतनी एहमियत किसी बद्द-दिमाग मग़रूर कोथोड़ी इज़्ज़त गर किसी ग़रीब को देते, तो वो तेरा परस्तार […]
Poetry
जो जलाये दीये हमने , तो अंधेरा बढ़ गया , ये क्या हुआ कि अब ए हयात से कोई मर गया ।
जो जलाये दीये हमने ,तो अंधेरा बढ़ गया ,ये क्या हुआ कि अब ए हयातसे कोई मर गया । यारों अजब रहा ,दुनिया का ही चलन ,मिले जो दोस्ती को,वो रक़ीब बन गया । सफ़र न होती जिंदगी ,तो बात ही क्या थी ,मिले न वो, छूटे जो,कारवां गुज़र गया । […]
ना उनको पता था , ना मुझको पता था , ये कसूर इश्के हवा का था
ना उनको पता था ,ना मुझको पता था ,ये कसूर इश्के हवा का था ,इस हवा में ही अज़ीब नशा था।।इश्क हो जाएगा ये सोचा कहां था।।ना उनको पता था ,ना मुझको पता था ,आपसे ही बना है मेरी मोहब्बत का वजूद,जो भूलकर भी न भूली जाए वो दास्तां हो […]
इक आग,इक तपन, रोज़ नयी चाहिए , ये है इनसां की फितरत, कुछ अलग चाहिए
इक आग,इक तपन,रोज़ नयी चाहिए ,ये है इनसां की फितरत,कुछ अलग चाहिए ।देश सुख का हो ,चाहत दिल की ये है ,साथ दुखों का भी ,इक नगर चाहिए ।हकीकत तो ये है,किअब वफ़ा ही नहीं ,बेवफाओं का फिर भी,भरम चाहिए ।अपनों से हमें ,चाहेमिले न कुछ भले ,गैरों का ही […]
मेरी दोस्ती, देखनी हो तो पतझड़ में आना दोस्त।
मेरी दोस्ती,देखनी हो तोपतझड़ में आना दोस्त। सावन में तोहर पत्ता हरा होता है…. चौराहों पर लगेदिशा निर्देशों की अपनीमंजिल न हो बेशक। तुम्हें,मंजिल का पताजरूर बता देंगे …. ( एन. पी. सिंह )
बरसों तलक होती रही, मुलाक़ात हमारी , इक बात न कह पाई , ज़माने गुज़र गये ।
बरसों तलक होती रही, मुलाक़ात हमारी ,इक बात न कह पाई , ज़माने गुज़र गये । पल पल पे देते रहे हैं , वादों पेजान जो ,ढूंढा,तो न मिले,आज वो दीवानेकिधर गये । किस्से ‘औ ‘ कहानियों सी,मिलती है दास्तां,हकीकत जो मिली ,तो फ़सानेबिखर गये । तेरा ही था भरम […]
जब भी तेरे एहसास से, ये दिल आबाद हुआ, इक टीस सी उठी
जब भी तेरे एहसास से,ये दिल आबाद हुआ,इक टीस सी उठी , औरदफ़न हो गये सारे ख़्वाब।बड़ी अजीब सी है, येमेरे साथ जो बीती दास्तांसिर्फ आंसू से लिखा है,प्यार का नाम …न जाने कौन हैं वोजो ये कहते रहते हैं,एक ख़ूबसूरत एहसासहै मोहब्बत …हमने तो जब भी छुआबस हाथ जल […]
कितना कुछ कहना है….. शब्द असहाय हो जाते हैं….
कितना कुछ कहना है…..मुझे तुमसे, इतना कि…… गला रुंध जाता है, औरशब्द असहाय हो जाते हैं….कोरैं गीली हो जाती हैं… परन्तुसीमा नहीं लांघ सकती…… दो अर्द्ध चंद्र मिलकरपूर्ण होते होंगे…..परन्तु जिस बिन्दु परउनका समागम होता है……क्या वहां एक रेखा नहीं उभरती?दोनों के बीच…… और वही हैकभी न खत्म होने वालाइन्तज़ार…… […]
Ek Ehsaas
Aj jo mai huHanAj jo mai hu vo teri vjh se huHanKamyab nhi hu ,Par jo bhi hu teri vjh se huKamaya nhi mene pesa, par tune rishte Nibhana sikha diyaJaha dunia mujhe tukhra rahi thi , vahi tune mujhe gale se lga liyaHum ladte par ek dusre pe marte […]
Sawaal (3)
( Now poet is now asking about religion ) Bat to thi ye pyaar ki ,apno k Sansaar kiChalo bta do ab ye dunia kya bat h Dharmo k thekedaar ki Om k Jaap pe Allah pe maar kyu hai ,Jab rabb hai thehra ek, to ye dush vyabhar kyu […]