सुबह की पहली किरण से, उस डूबती शाम तक

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सुबह की पहली किरण से,उस डूबती शाम तक……ना जाने कितने रंगभरती थी मैं , ज़िन्दगी के ….हर पल ,हर क्षण ,कुछ बाकी ना रहता ।सब भाव , भंगिमाएं ,चटक ,सजीले दिन ,जीवन के ,बीत गयी सदियां ,थक गई मैं …..पर रंग भरना ना छूटा,उन्हें सजाया ,सवांराकुछ बाकी ना रह जाए […]

यूँही नहीं चिराग़ मैंने, हवा में जला दिया..

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यूँही नहीं चिराग़ मैंने, हवा में जला दिया….मुद्दतों से लड़ा हूँ लड़ाई, दुष्वारियों से मैं….न कभी अश्क़ बहाएन कभी शिकायत की है….ये मेरी अपनी खता है जो हिमाकत की है….नफ़रतों के दरम्यां दिलको दिल से मिला दिया….यूँही नहीं चिराग़ मैंने, हवा में जला दिया…. ………….(एन. पी. सिंह )

क्यों पूछता है “राही”मैं पहले सा नहीं हूँ, शक्ल तो वही है बस”दिवंगत” हो गया हूँ

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क्यों पूछता है “राही”मैं पहले सा नहीं हूँ,शक्ल तो वही है बस”दिवंगत” हो गया हूँ,तू ढूँढता है जिसको वोह अब मैं नहीं हूँ,काया तो है पहले सीपर मैं कहीं नहीं हूँ,था कभी निगाहों मेंअब भी वहीं डटा हूँ,तब भी “खटकता” था अब भी खटक रहा हूँ,”रिश्तों” की बारात में कुछ […]

ये शायरी ओर किनके लिए… हक़ है तुम्हारा इनपे.. तुम्हारी है, नाज़ करो…

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अब दूरियाँ बना ही रहे हो तो बरक़रार भी रखना,हम क़रीब नहीं आएंगे हम पर एतबार भी रखना !! तमाम उम्र कटेगी यूँ ही…वो सामने ना होगी.. फिर भी दिखेगी… ये शायरी ओर किनके लिए…हक़ है तुम्हारा इनपे.. तुम्हारी है, नाज़ करो…

मैंने कोरोना का रोना देखा है! और उम्मीदों का खोना देखा है!!

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मैंने कोरोना का रोना देखा है!और उम्मीदों का खोना देखा है!! लाचार मजदूरों को रोते देखा है!गिरते पड़ते चलते और सोते देखा है! पिता को सूनी आंखों से तड़पते देखा है!!तो मां की गोद में बच्चे को मरते देखा है! गरीबों का खुलेआम रोष देखा है!!तो मध्यमवर्ग का मौन आक्रोश […]

मैं तेरे इश्क की औकात दैखना चाहता हूं , और इसलिए

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मैं तेरे इश्क की औकात दैखना चाहता हूं , और इसलिए …….. क्या मसरूफियत में मेरा ख़्याल आता है तुझे … या उठाता है ,जब दुआओं में , तू हाथ .. … तो क्या नाम मेरा भी , याद आता है तुझे ………. बेअदब , बेसबब सी , जब मैं […]

यादों की तितली ,रंग बिरंगी,पकड़ी तो बेरंग हो गई । बहुत चाहा जिसे, सम्भाला भी बहुत ,वही चीज़ अक्सर खो गई।

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यादों की तितली ,रंग बिरंगी,पकड़ी तो बेरंग हो गई ।बहुत चाहा जिसे, सम्भाला भी बहुत ,वही चीज़ अक्सर खो गई।ख्वाहिशों का धुआं करते रहे , इक तमन्ना कहीं बहुत रो गई ।जगाते रहे रोज़ आरज़ू इक नई,और एक चाहत दिल में सो गई।ज़िन्दगी पहुंच गई थी वहां ,मौत होते होते, […]

ख़ामोशी तू मेरे साथ चल ,डर लगता है अब कहने में , सब कुछ तू कहती रहना ,डर लगता है अब सहने में ,

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ख़ामोशी तू मेरे साथ चल ,डर लगता है अब कहने में ,सब कुछ तू कहती रहना ,डर लगता है अब सहने में ,तेरा सहारा , मज़बूत लगे ,महफ़िल कितनी अकेली है , लोगों की गिनती ना करना , बस इक तू ही सहेली है । तूने सुना , तूने देखा […]