गुरु नानकदेवजी एक बार किसी तीर्थस्थल पर गए हुए थे। अनेक व्यक्ति उनके सत्संग के लिए वहाँ जुट गए । एक व्यक्ति ने हाथ जोड़कर प्रश्न किया, ‘बाबा, मुझ जैसे साधारण गृहस्थ के कल्याण का सरल उपाय बताएँ । ‘
गुरुजी ने कहा, ‘ईश्वर को हरदम याद करनेवाला और सादा व सात्त्विक जीवन जीने वाला व्यक्ति सहज ही अपना कल्याण कर लेता है। तुम प्रेम व भक्ति से भगवान् के पवित्र नाम का सुमिरण करो, उस नाम रूपी परम तत्त्व से एकरूप हो जाओ, जीवन सार्थक होते देर नहीं लगेगी। ‘
गुरु नानकदेवजी ने आगे कहा, ‘भगवान् के नाम में बड़ी अनूठी शक्ति है। उसके नाम का जाप मनुष्य के समस्त पापों और दुःखों को धोने की क्षमता रखता है।
भगवान् का नाम हर तरह के विकारों और दुर्व्यसनों को दूर करके मानव को सद्गुणों से संपन्न करता है । ईश्वर के नाम जपने से व्यक्ति वासनामुक्त हो जाता है और पुनर्जन्म के चक्कर से छुटकारा पाकर अंततः मोक्ष को प्राप्त करता है।’
आत्म कल्याण का सरल उपाय बताते हुए गुरुजी ने कहा, ‘सत्य, सद्विचार, सदाचार, प्राणियों के प्रति दया भावना, ईश्वर की स्तुति और गुणगान से मानव अपना कल्याण कर सकता है ।
इसलिए हर व्यक्ति को यह प्रार्थना करनी चाहिए कि हे प्रभु, मुझे अपनी शरण में चाहे जिस भी अवस्था में रख, तेरी शरण के अतिरिक्त मेरा कोई और आश्रय नहीं है। जो व्यक्ति भगवान् के प्रति शरणागत होता है, वही कल्याण की अनुभूति करता है।