अहोई अष्टमी का व्रत संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है. इस दिन अहोई माता के साथ सेई और सेई के बच्चों की पूजा का विधान होता है. इस दिन.
कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। संतान की लंबी आयु और संतान प्राप्ति की मंशा से किया जाने वाला यह व्रत 28 अक्टूबर (गुरुवार) के दिन किया जाएगा। इस दिन माता अहोई की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती और उनके पुत्रों की भी पूजा की जाती है। अहोई अष्टमी व्रत को काफी प्रभावशाली माना गया है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारम्भ: अक्टूबर 28, 2021 को दोपहर 12:49 बजे से
अष्टमी तिथि समाप्त: अक्टूबर 29, 2021 को दोपहर 02:09 बजे तक।
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त: शाम 05:55 से 07:08 बजे तक
इस दिन गुरु पुष्य नक्षत्र लगेगा और साथ ही अमृत सिद्ध योग भी रहेगा। सुबह 9 बजकर 42 मिनट से गुरु पुष्य नक्षत्र लग जाएगा तो वहीं अमृत सिद्ध योग सुबह 9 बजकर 42 मिनट से शुरू होगा जो अगले दिन यानी 29 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। इस अवधि में की गयी पूजा और किसी भी कार्य का शुभ फल अवश्य प्राप्त होगा। इस व्रत को करने से संतान को लंबी आयु मिलती है। उसे जीवन में यश, कीर्ति, सौभाग्य और सुख-समृद्धि की कमी नहीं रहती है। कई महिलाएं अपने बीमार बच्चों की निरोगी काया के लिए यह व्रत करती हैं। इस व्रत का असर और प्रभाव काफी शक्तिशाली माना गया है। जिन महिलाओं की गोद सूनी है वो संतान सुख का आशीर्वाद पाने के लिए यह व्रत करती हैं।अगर आपकी बहू अथवा बेटी की गोद भरने में विलंब हो रहा है तो आप ये उपाय कर सकते हैं। इस दिन अहोई माता और भोलेनाथ को दूध-भात का भोग लगाएं। चांदी की नौ मोतियों को लाल धागे में पिरो लें और माला तैयार करें। अहोई माता को ये माला चढ़ाएं और फिर अपनी संतान के लिए संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मांगे व पूजा करें। इसके बाद अपनी संतान और उनके जीवनसाथी को दूध-भात का प्रसाद खिलाएं। इसके बाद वह माला अपनी बहू अथवा बेटी, जिसके लिए आपने पूजा की है, उसे धारण करवा दें।
अहोई अष्टमी व्रत में इन बातों का रखें ख्याल –
इस दिन अहोई माता की पूजा करने से पहले भगवान गणेश की पूजा जरूर करें।
-अहोई अष्टमी का व्रत तारों को देखकर खोला जाता है। इस दिन तारों के निकलने के बाद अहोई माता की पूजा की जाती है।
-इस दिन कथा सुनते समय 7 प्रकार के अनाज अपने हाथों में जरूर रखें , पूजा के बाद यह अनाज किसी गाय को खिला दें.
-अहोई अष्टमी के व्रत में पूजा करते समय बच्चों को साथ में जरूर बैठाएं और अहोई माता को भोग लगाने के बाद वह प्रसाद अपने बच्चों को जरूर खिलाएं।