बेटा ही पिता की चिता को मुखाग्नि देता है, यह बात अब गुजरे जमाने की हो चुकी है। बुधवार को पांच बेटियों ने बेटे का फर्ज निभाते हुए पिता का अंतिम संस्कार किया। बेटियां पिता की अंतिम यात्रा में श्मशानघाट तक साथ गईं और अर्थी को कंधा दिया। यहां रीति रिवाज के साथ पिता की चिता को मुखाग्नि दी। मंडी जनपद के कटौला क्षेत्र के चेतराम दंपती बेटियों की शादी करने के बाद कुछ वर्षों से अकेले जीवन यापन कर रहे थे। उनकी तबीयत बुढ़ापे के चलते लगातार बिगड़ रही थी।
मंगलवार देर शाम उनका देहांत हो गया। पांच बेटियां में बड़ी बेटी अनिता, सुनीता, कविता, रेखा और सपना ने पिता का अंतिम संस्कार कर रूढि़वादी परंपरा को तोड़ा है। पिता सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त थे। बेटियों को सामर्थ्य अनुसार शिक्षा प्रदान की। पांच बेटियों में से एक बेटी मंडी में फार्मेसी ऑफिसर और एक नेरचौक मेडिकल कॉलेज में स्टाफ नर्स व एक बेटी केहनवाल में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सेवारत हैं। इन बेटियों ने पिता को बेटे की कभी कमी महसूस नहीं होने दी। बेटियों के तमाम प्रयास के बाद भी उनकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ।