हिमाचल प्रदेश विधानसभा बजट सत्र के पहले ही दिन मंगलवार को करीब पौने 12 बजे स्पीकर ने प्रश्नकाल शुरू करने को कहा तो विपक्ष ने इसे शुरू में ही बाधित किया। भाजपा विधायकों ने नियम-67 के तहत स्थगन प्रस्ताव को स्वीकार करने व इस पर चर्चा मांगी। काफी देर हंगामे के बाद मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने वाकआउट कर दिया। इससे पहले सदन में विपक्ष ने कहा कि सारा काम रोककर इस पर चर्चा की जाए कि विधायक क्षेत्र विकास निधि का पैसा क्यों रोका गया है। इससे सदन में दोनों पक्षों में खूब नोकझोंक हुई। इस पर उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री अपनी बात कहने उठे तो उनके वक्तव्य के बीच विपक्ष ने हंगामा और नारेबाजी की।
प्रश्नकाल शुरू होने के एलान के साथ ही भाजपा विधायक विपिन सिंह परमार ने कहा कि विधायक क्षेत्र विकास निधि की अंतिम किस्त से हमें वंचित कर दिया गया है। विवेकाधीन अनुदान भी रोका गया है। परमार ने कहा कि चुने हुए प्रतिनिधियों को जो निधि मिलती है, उसके लिए नोटिस दिए गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के कार्यकाल में विधायक क्षेत्र विकास निधि को दो करोड़ रुपये किया गया है। मार्च आ गया है। अभी तक तीसरी किस्त नहीं दी गई है। नियम-67 के तहत नौ विधायकों ने यह प्रस्ताव दिया।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने विधायक क्षेत्र विकास निधि रोकने के मामले में कहा कि सभी संस्थान खोले जाएं तो कुल कर्ज 91 हजार करोड़ रुपये हो जाएगा। प्रदेश आर्थिक बदहाली से गुजर रहा है। अगर हम राजकोषीय अनुशासन में नहीं रहेंगे तो परेशानी होगी। काम रोको प्रस्ताव तब आता है जब कोई विपदा आए। मुकेश अग्निहोत्री सही कह रहे हैं कि ये चैंबर में बैठते तो इस समस्या को सुलझाया जाता। सरकार व्यवस्था परिवर्तन कर रही है। अगर काम रोको प्रस्ताव को ये विधायकों की निधि से जोड़ते हैं तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। हमारे विधायकों को भी तो जनता ने चुना है, उन्होंने भी मांग की है। भाजपा सरकार ने बड़ा कर्जा डाला है।
इस पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि विधायक क्षेत्र विकास निधि जनता का पैसा है। हम मुख्यमंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं। इसके बाद भाजपा विधायक दल नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चला गया। वहीं, विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने विपक्ष की ओर से लाए गए स्थगन प्रस्ताव को निरस्त कर किया।