श्री नन्द लाल शर्मा, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एसजेवीएन ने बताया कि एसजेवीएन ने
आरईसी के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। आरईसी ने एसजेवीएन और इसकी अधीनस्थ
कंपनियों और संयुक्त उपक्रमों की परियोजनाओं को 50,000/- करोड़ रुपए की सीमा तक वित्तपोषित करने
पर सहमति व्यक्त की है।
श्री नन्द लाल शर्मा ने आगे बताया कि आरईसी ऊर्जा के पारंपरिक और नवीकरणीय स्रोतों पर
आधारित नए विद्युत स्टेशन स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगा। आरईसी बैटरी
स्टोरेज, ई-वाहन, ग्रीन हाइड्रोजन/अमोनिया, हाइड्रोजन सेल स्टोरेज, ग्रीन प्रोजेक्ट्स के लिए विनिर्माण
इकाइयों जैसी नई प्रौद्योगिकी परियोजनाओं की स्थापना में भी वित्तीय सहायता करेगा। एमओयू में
निकासी एवं ट्रांसमिशन परियोजनाओं का निर्माण शामिल है और इसमें मौजूदा ट्रांसमिशन प्रणाली को
सुदृढ़/सुधार करना भी शामिल है।
श्री नन्द लाल शर्मा ने कहा कि “आरईसी के साथ यह एमओयू एसजेवीएन के विकास इंजन के
लिए बूस्टर के रूप में कार्य करेगा और सभी को 24X7 विद्युत प्रदान करने के भारत सरकार के विजन
को पूरा करने में सहयोग करेगा”।
श्री शर्मा ने वर्तमान दशक के अंत तक 25 गीगावॉट विद्युत उत्पादन क्षमता हासिल करने की
एसजेवीएन की प्रतिबद्धता को दोहराया, जिसमें से आधे से अधिक नवीकरणीय संसाधनों से हासिल किया
जाना निर्धारित है। 54,327 मेगावाट के कुल परियोजना पोर्टफोलियो के साथ, एसजेवीएन वर्ष 2023-24
तक 5000 मेगावाट, 2030 तक 25000 मेगावाट और वर्ष 2040 तक 50000 मेगावाट कंपनी होने के
अपने साझा विजन को प्राप्त करने के लिए तीव्रता से अग्रसर है। इस साझा विजन को वर्ष 2030 तक
गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से 50% ऊर्जा उत्पन्न करने की भारत सरकार की प्रतिबद्धता
के अनुरूप तैयार किया गया है।