पत्नी सुदर्शना की तरफ से दायर घेरलू हिंसा की शिकायत से जुड़े मामले में विधायक विक्रमादित्य सिंह ने स्पष्ठ किया है कि राजस्थान उदयपुर न्यायालय द्वारा गैर-जमानती वारंट जारी करने के संबंध में कोई आदेश पारित नहीं किए गए है। उन्होंने कहा कि नोटिसों को स्वीकार किया है और मामला अदालत में लंबित है। आगामी सुनवाई में सम्मानपूर्वक तरीके से अपनी बात रखेंगे और कोर्ट के माध्यम से प्यार से मामले को सुलझाएंगे। उन्होंने कहा कि ये निजी और पारिवारिक मामला है, जिसका राजनीतिककरण किया जा रहा है, ऐसे में वे तह तक जाएंगे कि इसके पीछे किसका हाथ है। उन्होंने कहा कि अदालत की वैबसाइट पर जानकारी अपलोड करने में कर्मचारियों द्वारा की गई चूक/त्रुटि के कारण गलत जानकारी गई। ऐसे में पता चलने पर त्रुटि को सुधारने के लिए उचित कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि सही जानकारी अब अदालत की वैबसाइट पर अपलोड की गई है। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि इस तथ्य की भी जांच कर रहे हैं कि क्या वैबसाइट पर गलत जानकारी अपलोड करना एक त्रुटि थी या किसी द्वारा जानबूझकर हमारी छवि को धूमिल करने के इरादे से किया गया था। यदि ऐसा पाया जाता है तो दीवानी और फौजदारी कानून के तहत ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मामला दुर्भाग्यपूर्ण, परिवार में बहुत कुछ होता है
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि ये मामला पारिवारिक है और दुर्भाग्यपूर्ण है। कभी-कभी परिवार में माता-पिता में, भाई-बहन में पति-पत्नी में कुछ विवाद हो जाते हैं। इसको बैठकर प्रेम से कोर्ट के माध्यम से सुलझाएंगे। उन्होंने कहा कि उनके परिवार को हिमाचल की जनता बड़ी अच्छी तरह से जानती है। 2 बार शिमला ग्रामीण की जनता ने जिता कर विधानसभा भेजा है। मामला लंबित है ऐसे में टीका-टिप्पणी नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा कि जल्द ही मामला सुलझा दिया जाएगा।
अब 13 जनवरी को होगी सुनवाई
विधायक विक्रमादित्य की पत्नी ने 17 अक्तूबर, 2022 को शिकायत की। इसके तहत 17 नवम्बर, 2022 को पहली सुनवाई और प्रतिवादियों को 14 दिसम्बर को उपस्थित होने के लिए नोटिस जारी हुए। इसके बाद प्रतिवादियों ने अपने वकील को नियुक्त किया और अब मामले की आगामी सुनवाई 13 जनवरी 2023 को होगी। शिकायत में पति विक्रमादित्य सिंह, सास प्रतिभा सिंह, ननद अपराजिता, ननदोई अंगद सिंह और चडीगढ़ निवासी अमरीन पर आरोप लगाए गए है।
एक तरफ मंत्री पद की दौड़, दूसरी तरफ केस ने बढ़ाई पेरशानी
कांग्रेस ने विस चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल कर सरकार बना ली है। विधायक विक्रमादित्य सिंह भी मंत्री पद की रेस में हैं। इस बीच इस केस से उनकी और पारिवारिक सदस्यों की परेशानियां बढ़ गईं हैं। हालांकि मामला पारिवारिक है लेकिन राजनीतिक विरोधी इससे भुनाने का प्रयास कर सकते हैं। वहीं कोर्ट में केस के लंबित होने के चलते कोई पार्टी नेता टिप्पणी करने को भी तैयार नहीं है। हालांकि नेताओं का कहना है कि इस केस का मंत्री पद की दौड़ में ज्यादा असर पड़ने वाला नहीं है। वहीं विक्रमादित्य सिंह का कहना है कि वे किसी दौड़ में शामिल नहीं हैं। हाईकमान ने आज तक जो जिम्मेदारी दी है, उसे पूरी निष्ठा के साथ निभाया है। आगे भी जो निर्देश होंगे उनकी पालना की जाएगी।