कांग्रेस के दिग्गज नेता और हिमाचल प्रदेश के छह बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को उनके देहांत के दूसरे दिन शिमला से रामपुर तक हजारों लोगों ने नम आंखों से श्रद्धांजलि दी। हजारों लोग आंखों में आंसू और हाथों में फूल लिए अपने महबूब नेता का पलकें बिछाए इंतजार करते रहे। 130 किलोमीटर के फासले में करीब 50 जगहों पर लोगों ने राजा साहब की पार्थिव देह के अंतिम दर्शन किए और उन पर पुष्पवर्षा की। दोपहर बाद शिमला से संजौली, ढली, कुफरी, फागू, ठियोग, संधू, मतियाना, शिलारू, नारकंडा, ओडी, जाबली, बिथल, सैंज, दत्तनगर आदि स्थानों से होते हुए लोगों ने नम आंखों से उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। पार्थिव शरीर की एक झलक पाने के लिए लोग घंटों इंतजार करते रहे।
पार्थिव देह पौने आठ बजे रामपुर पहुंच गई।
जैसे ही पार्थिव शरीर पद्म पैलेस में पहुंचा तो उनके चाहने वालों ने कौन आया कौन आया, देखो-देखो शेर आया नारा लगाया। इससे पूरा रामपुर शहर गूंज उठा। पार्थिव देह को महल के भीतर ले जाने के बाद राजसी परंपरा के अनुसार यहां दीप प्रज्ज्वलित किया गया। राजपरिवार के लोगों ने बताया कि हॉलीलॉज शिमला में दीपक नहीं जलाया गया, क्योंकि पद्म पैलेस में ही वीरभद्र सिंह का जन्म हुआ था।
जैसे ही वाहन से पार्थिव शरीर को नीचे उतारा गया, पद्म पैलेस के परिसर में जनसैलाब इसे छूने के लिए उमड़ पड़ा। यहां तैनात सुरक्षाकर्मियों को लोगों को नियंत्रित करने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी। इसी बीच लंबी शंख ध्वनि हुई, जिसके साथ ही लोगों की आंखों से आंसू छलक पड़े।