उपमंडल पधर के ग्राम पंचायत जिल्हन के लखवाण गांव में रविवार को एक साथ दो भाइयों की अर्थी उठी। नजारा देख पूरे जिल्हन पंचायत सहित घटासनी, गुम्मा, कधार, उरला,पद्धर, लखवाण गांव में मातम पसर गया। किसी भी घर चूल्हा नहीं जला। दोनों की रविवार को सड़क हादसे में मौत हो गई थी। लखवाण निवासी महंगरी देवी के चार बेटों में नंद लाल, दीप चंद, भादर सिंह, ज्ञान चंद है जिनमें भादर सिंह और ज्ञान चंद की सड़क हादसे में मौत हो गई। भादर सिंह 39 वर्ष की पोस्टिंग्स आजकल झाँसी में हुई थी। भादर सिंह भी दो दिन पहले ही एक महीने की छुट्टी लेकर आया था। भादर सिंह भारतीय सेना में स्पेशल टास्क फोर्स में तैनात थे। भादर सिंह 7 जेक राइफल में भर्ती हुए थे 19 वर्ष से सेना में थे।
भादर सिंह अपने पीछे दो बेटियां अनन्या पहली कक्षा में और बड़ी बेटी आकांक्षा चौथी कक्षा में पढ़ती है, पत्नी रीना को रोते बिलखते छोड़ गए है। वहीं दूसरी और छोटा भाई ज्ञान चंद जोकि एक क्षेत्र का सबसे बढ़िया बेल्डर माना जाता था, लोग ज्ञान चंद को अपने घरों की छतों को बनाने के लिये एडवांस बुकिंग करवा लेते थे, वो भी अपने पीछे दो छोटे बेटे एक पहली कक्षा और तीसरी कक्षा में पढ़ता है और पत्नी गोली देवी उर्फ सनिश्चरी देवी को छोड़ गए है। जिल्हन गांव के ही घाट पर दोनों भाइयों की एक साथ चिता जली। पालमपुर योल कैम्प से आए सेना के जवानों ने तिरंगे में लपेट कर अपने सैनिक को विदाई दी, उस समय सभी के आँखों से आँसू निकल रहे थे।
बिलख-बिलख कर रोई मां…
मां मंहगरी देवी ने कहा कि कहां गए मेरे कायलु और जानू, दोनों की मृत्यु का जैसे ही मां को पता चला तो मां बिलख-बिलख कर रोने लगी और जोर जोर से आवाज लगाने लगी कि मेरे कायलु और जानू कहां चले गए। उधर कायलु फौजी उर्फ भादर सिंह की पत्नी रीना पहले तो विश्वास ही नहीं कर रही थी, लेकिन जैसे ही रीना देवी को इस बारे में पता चला तो वह बेहोश होकर गिर गई जिससे वहां साथ में लगते पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने तुरंत संभाला और उसे थोड़ी सांत्वना दी कि नहीं ऐसा कुछ नहीं हुआ है लेकिन वो विश्वास किसी पर नहीं कर रही थी, उसका दिल बार-बार यही कह रहा था कि अभी अनन्या उर्फ नन्नू के और आकांक्षा उर्फ अंकु बेटियों के पापा आएंगे और उन्हें आज बहुत सारा प्यार करेंगे। लेकिन घर के आंगन में थोड़ी देर में दो सगे भाइयों की अर्थियां पहुंच गई। चारों ओर ओर सन्नाटा था लेकिन कोई भी कहने को तैयार नहीं था कि यह क्या हो गया। थोड़ी देर में चारों तरफ रोने की आवाज ही आ रही थी बस और कुछ भी नहीं।
दूसरी ओर छोटे भाई की अर्थी थी पत्नी गोली देवी उर्फ सनीचरी देवी भी अपनी होश खो चुकी थी दोनों बेटे एक दूसरे का मुंह देख रहे थे, रो रहे थे। रिश्तेदार बच्चों को सांत्वना दे रहे थे। शुक्रवार स्कूल जाते अंतिम बार बात हुई थी, अपने प्यारे चाचू ज्ञान चंद से आकांक्षा, अनन्या, पुनीत और आयुष ये चारों बच्चे स्कूल जाते है और हर दिन भलांना मगरू के पास उनको हाथ हिलाकर बाए बाए करते थे। अब उनको क्या पता था कि डेली मिलने वाले उनके प्यारे चाचू ज्ञान चंद सिर्फ आज ही मिलेंगे।