जब मैंने शिक्षा पायी, इक बात समझ में आयी…

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जब मैंने शिक्षा पायी, इक बात समझ में आयी,
ये दुनिया है अमीरों की, न किसान और मजदूरों की,
इनके हक के लिए मुझे लड़ना है,मुझे समाज बदलना है।
जब मैंने शिक्षा पायी, इक बात समझ में आयी,


टुकड़ों में बंटा है देश, जाति धर्म का है भेद,
इंसानियत का सबक सिखाना है, मुझे समाज बदलना है।
जब मैंने शिक्षा पायी, इक बात समझ में आयी,जो सबका पेट भरता है,
खेतों में मेहनत करता है, खुद दाने-दाने का जो मोहताज है ,
ये कैसी सरकार का राज है, सत्ता की आंखों को खोलना है,
मुझे समाज बदलना है।
इंकलाब जिंदाबाद


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