वन भूमि प्रत्यावर्तन के 29 मामलों में केन्द्र से द्वितीय चरण की स्वीकृति प्राप्तः मुख्यमंत्री

Avatar photo Spaka News
Spaka News

प्रदेश सरकार ने छः माह में 110 से अधिक मामलों में की संस्तुति प्रदान

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा वन भूमि प्रत्यावर्तन (डायवर्सन) के प्रस्तावों की प्रक्रिया तीव्र की गई है, ताकि विकास कार्यों का निर्माण आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करने के उपरान्त शीघ्र शुरू किया जा सके। कार्यों के समयबद्ध पूर्ण होने से राजस्व में बचत के साथ ही प्रदेश की जनता को इनका समुचित लाभ सुनिश्चित होता है।
वर्तमान प्रदेश सरकार ने वन स्वीकृतियों में अनावश्यक विलम्ब के कारण विकास कार्यों में हो रही देेरी को गम्भीरता से लेते हुए इनका समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। वन भूमि प्रत्यावर्तन के संबंध में प्रदेश सरकार द्वारा जिला स्तरीय समितियों का गठन किया गया है, जिनकी नियमित आधार पर बैठकें हो रही हैं। इससे लम्बित एवं नए मामलों के अनुमोदन की प्रक्रिया में तेजी आई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एफसीए से संबंधित विभिन्न मुद्दे केन्द्र सरकार के समक्ष प्रमुखता से उठाए गए हैं। त्वरित रूप से कार्य करते हुए प्रदेश सरकार द्वारा इस जून माह के दौरान वन भूमि प्रत्यावर्तन के 29 मामलों में केन्द्र सरकार से द्वितीय चरण की स्वीकृति प्राप्त की गई है और औपचारिक आदेश जारी करते हुए विभिन्न प्रयोक्ता अभिकरणों के पक्ष में वन भूमि प्रत्यावर्तन की स्वीकृति प्रदान की गई है। इनमें सड़क निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग के 11 मामले, पुलिस विभाग के 4, जल शक्ति, एनएचएआई, शिक्षा तथा कृषि विभाग के 2-2 मामले और आईटीबीपी, नगर निगम शिमला, सैनिक कल्याण, गृह रक्षक, स्वास्थ्य, हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड का 1-1 मामला शामिल है। उन्होंने कहा कि गत छः माह के दौरान प्रदेश सरकार द्वारा कुल 46 मामलों में औपचारिक आदेश जारी किए जा चुके हैं।
इसके अतिरिक्त, प्रदेश सरकार द्वारा गत एक माह के दौरान एफसीए के अन्तर्गत वन भूमि प्रत्यावर्तन के 32 नए प्रस्तावों की संस्तुति प्रदान कर इन्हें केन्द्र सरकार के प्रथम चरण के पूर्व अनुमोदन अर्थात सैद्धांतिक अनुमोदन के लिए भेजा गया है। इनमें सड़क निर्माण के 19 मामले, विद्युत, फोरलेन निर्माण, शिक्षा व अन्य परियोजनाओं के 2-2 मामले और जल आपूर्ति, सुरक्षात्मक परियोजना, पर्यटन, सौर ऊर्जा परियोजना, रोपवे इत्यादि के निर्माण के लिए प्रस्ताव शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार विकासात्मक कार्यों को गति प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है और गत छः माह के दौरान प्रदेश सरकार द्वारा 110 से अधिक मामलों में संस्तुति प्रदान करते हुए इन्हें केन्द्र सरकार के पूर्व अनुमोदन के लिए भेजा गया है।
हिमाचल प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का लगभग 68 प्रतिशत क्षेत्र वैधानिक रूप से वर्गीकृत वन क्षेत्र के अन्तर्गत आता है, जिस पर वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के प्रावधान लागू होते हैं। सरकार द्वारा प्रस्तावित अधिकांश विकास कार्यों के निर्माण के लिए वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 (एफसीए) की धारा-2 के अन्तर्गत केन्द्र सरकार का पूर्व अनुमोदन अनिवार्य है। वर्तमान में यह प्रक्रिया पूर्णतः ऑनलाइन है तथा इन प्रस्तावों को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के परिवेश पोटर्ल के माध्यम से प्रोसेस किया जा रहा है। इस विषय के महत्व के दृष्टिगत मुख्यमंत्री स्वयं तथा प्रधान सचिव (वन) भी एफसीए के मामलों का समय-समय पर अनुश्रवण कर रहे हैं। इसके साथ ही प्रदेश सरकार विकास एवं पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने के लिए पौधरोपण पर भी विशेष ध्यान केन्द्रित कर रही है।


Spaka News
Next Post

राज्यपाल ने रक्तदान शिविर का किया शुभारम्भ

Spaka Newsहिमाचल प्रदेश राज्य रेडक्रॉस अस्पताल कल्याण शाखा द्वारा आयोजित विश्व रक्तदाता दिवस के अवसर पर राज्यपाल एवं राज्य रेडक्रॉस सोसायटी के अध्यक्ष शिव प्रताप शुक्ल ने आज शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान में स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का शुभारम्भ किया।इस अवसर पर राज्यपाल ने रक्तदाताओं से बातचीत की और उनके […]

You May Like