शिमला : हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने आदेश का पूरी तरह पालन न होने पर शिक्षा सचिव को वेतन देने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने आदेश में कहा कि शिक्षा सचिव की लचर प्रणाली के लिए उन्हें जेल भेजने का आदेश पारित करने के बजाय अतिरिक्त महाधिवक्ता के आग्रह पर नरम रुख अपनाते हुए सिर्फ वेतन अदायगी पर रोक लगाई जाती है।न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बीसी नेगी की खंडपीठ ने आदेश की प्रति मुख्य सचिव को पालन के लिए भेजने का आदेश भी दिया। मामले की अगली सुनवाई नौ अगस्त को निर्धारित की गई है। याचिकाकर्ता नील कमल सिंह ने हाई कोर्ट की ओर से उसके पक्ष में तीन वर्ष पहले सुनाए गए निर्णय को लागू करने के लिए याचिका दायर की थी।
कोर्ट ने पाया कि सात जनवरी, 2020 को खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के पक्ष में निर्णय सुनाया था। सेंट बीड्स कालेज शिमला के स्टाफ कर्मियों की ओर से 95 प्रतिशत ग्रांट इन एड नीति के तहत ग्रांट, ग्रेच्युटी और लीव इन कैशमैंट के लिए सरकार को आदेश देने की मांग की थी। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने इन मांगों को स्वीकार करते हुए सरकार को उपरोक्त लाभ जारी करने का आदेश दिया था।
इसे लागू करने के लिए अदालत ने कई बार शिक्षा सचिव को आदेश पारित किए थे। 31 मई, 2023 को अदालत ने इस याचिका का निपटारा करते हुए 19 जुलाई, 2023 के लिए अनुपालन रिपोर्ट तलब की थी। इस दिन भी अदालत के निर्णय को लागू करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई।
अदालत ने फिर से शिक्षा सचिव को एक और अवसर दिया। इस बार भी अदालत के निर्णय को लागू नहीं किया गया और अदालत ने उनका वेतन रोकने का आदेश पारित किया।