देश में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच बच्चों के लिए बहुप्रतीक्षित वैक्सीन का इंतजार खत्म हो गया है। जायडस कैडिला कंपनी की स्वदेशी वैक्सीन जायकॉव-डी को मान्यता देने वाली सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेटरी (सीडीएल) कसौली ने मंजूरी दे दी है। यह बच्चों का पहला और कुल तीसरा भारतीय टीका होगा। मंजूरी मिलने के बाद अब कंपनी डीएनए आधारित कोरोना वैक्सीन को मार्केट में उतारेगी।
देश दुनिया में फैली कोरोना महामारी की संभावित तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए वैक्सीन का इंतजार अब खत्म हो गया है। तीसरी लहर से पहले इस वैक्सीन के आने से लोगों ने राहत की सांस ली है। जायडस कैडिला कंपनी की स्वदेशी वैक्सीन जायकॉव-डी को मान्यता देने वाली सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेटरी (सीडीएल) कसौली ने मंजूरी दे दी है। यह बच्चों के लिए पहला और कुल तीसरा भारतीय टीका होगा। मंजूरी मिलने के बाद अब कंपनी डीएनए आधारित वैक्सीन को मार्केट में उतारेगी।
डीएनए आधारित वैक्सीन की लेनी होगी तीन डोज
जायकोव-डी डीएनए आधारित वैक्सीन है। इसमें कोरोना वायरस का जेनेटिक कोड है जो टीका लगवाने वाले के शरीर में इम्यून सिस्टम को सक्रिय करता है। यह तीन डोज वाला टीका है। पहली डोज लेने के 28वें दिन दूसरी और 56वें दिन तीसरी डोज लेनी होगी।
सुई नहीं, फार्माजेट तकनीक से लगेगी वैक्सीन
जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन पहली पालस्मिड वैक्सीन है। इसे बिना सुई की मदद से फार्माजेट तकनीक से लगाया जाएगा। इससे साइड इफेक्ट के खतरे कम होते हैं। बिना सुई वाले इंजेक्शन में दवा भरी जाती है, फिर उसे एक मशीन में लगाकर बाजू पर लगाते हैं। मशीन पर लगे बटन को क्लिक करने से टीके की दवा अंदर शरीर में पहुंच जाती है।