जिन्हें किसी दफ़्तर में काम करना चाहिए था, वे शिमला में मुख्यमंत्री कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं।
धर्मशालाओं और सरायों में रहने को मजबूर हैं रिज़ल्ट का इंतज़ार कर रहे अभ्यर्थी।
कहां गई पहली कैबिनेट में एक लाख सरकारी नौकरी देने की गारंटी।
शिमला: नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस सरकार हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग के लंबित परीक्षा परिणामों को जारी न करके युवाओं के साथ धोखा कर रही हैं। रिज़ल्ट के इंतज़ार में आज प्रदेश के युवा भटक रहे हैं। नेताओं और सरकारी दफ़्तरों के चक्कर लगा रहे हैं । लाखों नौकरियों का वादा करके सत्ता में आई कांग्रेस सरकार नईं नौकरियां देना दूर जिन पोस्ट कोड की सारी औपचारिकताएं पूरी हो गई हैं, उनके परिणाम भी नहीं घोषित कर रही हैं। यह सीधे-सीधे युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हैं। जिन युवाओं को सरकारी दफ़्तरों में बैठकर प्रदेश के लोगों की सेवा करनी चाहिये थी, वह युवा आज अपन हक़ के लिए नेताओं के आवास और दफ़्तर के चक्कर लगा रहे हैं। कई पोस्ट कोड के अभ्यर्थी शिमला में डेरा डाले हैं। आए दिन इस नेता से, उस नेता से मिलने की कोशिश कर रहे हैं। मुख्यमंत्री से मिलने के बाद भी उनके मसले हल नहीं हो रहे हैं। यह दुःखद स्थिति है। प्रतियोगी परीक्षाओं के लंबित परिणामों को अविलंब जारी करने के लिए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को पत्र लिखा है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि रिज़ल्ट के इंतज़ार में शिमला में डेरा डाले युवा अभ्यर्थी धर्मशालाओं और सरायों में रहने को विवश हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से निवेदन किया कि युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ न करें और हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग सभी पोस्ट कोड के रिजल्ट जारी करने का रास्ता निकाले। उन्होंने कहा कि जिन पोस्ट कोड में किसी प्रकार की अनियमितता का मामला नहीं चल रहा है, उनके परिणाम एक हफ़्ते के भीतर घोषित करें और जिन पोस्ट कोड में अनियमितता की जाँच चल रही है, उन भर्तियों को भी पूरा करने का रास्ता निकाले और जल्दी से जल्दी सभी भर्ती प्रक्रिया को पूरी की जाए।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कर्मचारी चयन आयोग के कुछ पोस्ट कोड में अनियमितता के मामले सामने आये हैं। हम दोषी को सख़्त से सजा देने के पक्ष में हैं लेकिन परीक्षा का परिणाम न घोषित करके सरकार परीक्षार्थियों को सज़ा दे रही है। उन्होंने कहा कि सरकार जांच प्रक्रिया में तेज़ी लाकर दोषियों को सज़ा दे लेकिन भर्ती प्रक्रिया को भी आगे बढ़ाए। भर्ती प्रक्रिया को जल्दी से जल्दी पूरा करने का रास्ता भी निकाले। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने प्रदेश के एक लाख युवाओं को नौकरी का वादा करके सत्ता में आई है। अब अपने वादे को पूरा करे।
जिन पोस्ट कोड्स में नहीं हैं कोई धांधली, उनके परिणाम तुरंत जारी करे सरकार
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जिन पोस्ट कोड में पेपर लीक की बात सामने नहीं आई है। सरकार उन पोस्ट कोड्स के परिणाम जल्दी से जल्दी घोषित करे और चयनित हुए युवाओं की नियुक्तियां सुनिश्चित करे। सरकार जाननूझकर परीक्षा परिणाम निकालने में देर कर रही है। युवाओं के भविष्य के साथ हम खिलवाड़ नहीं होने देंगे। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जिन पोस्ट कोड में किसी प्रकार की धांधली हुई है, उनकी भी भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का रास्ता निकाले। आख़िर युवा कितने समय तक जांच और परीक्षा परिणामों का इंतज़ार करेंगे।
प्रेस नोट संख्या 02
विक्रमादित्य सिंह के बयान पर नेता प्रतिपक्ष की प्रतिक्रिया
“कांग्रेस सरकार के मंत्री ही अपने सरकार के ख़िलाफ़ मुखर हो गये हैं। यह विक्रमादित्य सिंह के बायना से साबित हो रहा है। आख़िर ऐसी नौबत क्यों आन पड़ी कि मंत्री अधिकारियों को अपने कमरे में बुलाकर निर्देश देने के बजाय मीडिया क समक्ष अपनी बात कहने को विवश हैं। इससे स्पष्ट होता है कि मंत्रियों और मुख्यमंत्री के बीच कोई तालमेल नहीं है। एक तरफ़ प्रदेश में भारी बारिश कारण जान-माल की भारी क्षति हुई है। वहीं दूसरी तरफ़ मंत्री अपनी बेबसी ज़ाहिर करते हुए अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा प्रकट कर रहे हैं। व्यवस्था परिवर्तन का इस तरह का कोई दूसरा उदाहरण और देखने को नहीं मिल सकता है। प्रदेश में जहां बारिश और बाढ़ के कारण चारों तरफ़ तबाही और त्राहि-त्राहि मची है। आपदा प्रभावित लोग सरकार से राहत की उम्मीद कर रहे हैं। वहां सरकार के मंत्री और विधायक अपना रोना तो रहे हैं। इस प्रकार के सरकार की कार्यप्रणाली प्रदेश में लोगों को देखने को नहीं मिली। सड़के टूटी पड़ी हैं। बिजली, पानी, राशन की आपूर्ति जैसे मूलभूत सुविधाओं की आपूर्ति बाधित हैं। आपातस्थिति में लोग अस्पताल नहीं पहुँच पा रहे हैं। सेब का सीजन शुरू हो चुका है। लेकिन सेब मंडियों तक पहुँचाने में सरकार कोई रुचि नहीं ले रही हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हैं। विक्रमादित्य सिंह के द्वारा अधिकारियों पर ज़ाहिर गई नाराज़गी अधिकारियोंपर कम नहीं मुख्यमंत्री पर है। आपदा के समय मंत्रियों द्वारा इस तरह बयान आना यह दर्शाता हैं कि सरकार में कुछ भी सही नहीं चल रहा हैं। आपदा के समय में भी जनहित के बजाय आपस में उलझे रहने वाले लोग प्रदेश का भला नहीं कर सकते हैं।”