ग्रामीण विकास विभाग ने एसीसी सीमेंट्स लिमिटेड के साथ एमओयू हस्ताक्षरित किया…

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गैर-पुनर्चक्रणीय प्लास्टिक अपशिष्ट का किया जाएगा सह प्रसंस्करण

 प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-पुनर्चक्रणीय प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के मामले के समाधान के लिए आज ग्रामीण विकास विभाग ने एसीसी सीमेंट्स लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) हस्ताक्षरित किया।
इस साझेदारी के तहत एसीसी सीमेंट्स लिमिटेड ग्रामीण विकास विभाग के साथ मिलकर ग्राम पंचायत क्षेत्रों के गैर-पुनर्चक्रणीय प्लास्टिक कचरे का सह-प्रसंस्करण करेगा। पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत इस अभिनव पहल को शुरू किया गया है जिससे प्रदेश सरकार के पारिस्थितिक संतुलन के मिशन में सहायता मिलेगी।
इससे पहले विभाग ने राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावी कचरा प्रबंधन के लिए अंबूजा सीमेंट्स लिमिटेड, दाड़लाघाट, अल्ट्रा टेक सीमेंट्स लिमिटेड और हीलिंग हिमालय फाउंडेशन के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
यह समझौता ज्ञापन सत्त अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं को बढावा देने की ग्रामीण विकास विभाग और एसीसी सीमेंट्स लिमिटेड की साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित कर रहा है। समझौता ज्ञापन के तहत गैर-पुनर्चक्रणीय कचरे के प्रसंस्करण और निपटान के लिए एसीसी सीमेंट्स लिमिटेड की उन्नत तकनीक का उपयोग किया जाएगा। एसीसी सीमेंट्स लिमिटेड प्लांट में राज्य के बिलासपुर, चंबा, कांगडा, कुल्लू और मंडी के गैर-पुनर्चक्रणीय प्लास्टिक कचरे की पूर्ति की जाएगी।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरूद्ध सिंह ने कहा कि यह साझेदारी स्वच्छ और हरित हिमाचल प्रदेश की परिकल्पना को साकार करने में सहायक साबित होगी। उन्होंने कहा कि इस साझेदारी से गैर-पुनर्नवीनीकरण योग्य प्लास्टिक कचरे का प्रभावी प्रबंधन सुनिश्चित होगा। इससे प्रदेश के पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ प्रदेश के सतत और समावेशी विकास में सहायता मिलेगी।
ग्रामीण विकास विभाग के सचिव राजेश शर्मा ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग और एसीसी सीमेंट्स लिमिटेड बरमाणा के बीच यह सहयोग हिमाचल प्रदेश में पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने और प्लास्टिक कचरे के प्रभावी प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक, राघव शर्मा ने कहा कि एसीसी सीमेंट्स लिमिटेड के साथ साझेदारी करके विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि गैर-पुनर्नवीनीकरण योग्य प्लास्टिक कचरे का पर्यावरण पर पडने वाले प्रभाव को कम करते हुए इसका स्थायी रूप से प्रबंधन सुनिश्चित किया जाए। यह पहल प्रदेश सरकार की सतत् विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।


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