एक ओर बरसते रहे मेघ रात भर टिप-टिप मेरी खिड़की के छज्जे पर…..
वहीं, दूसरी ओर पिघलते रहे अंतर्मन के तमाम हिमखण्ड तुम्हारी,
यादों की शिलाओं से लिपटे कतरा-कतरा…..
एन. पी. सिंह
एक ओर बरसते रहे मेघ रात भर टिप-टिप मेरी खिड़की के छज्जे पर…..

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