बिजली बोर्ड में किसी भी पद को समाप्त नहीं कियाः प्रवक्ता…

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हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड लिमिटेड के प्रवक्ता अनुराग पराशर ने स्पष्ट किया है कि बोर्ड में कोई भी पद समाप्त नहीं किया गया है। कर्मचारी संगठनों के आरोपों को नकारते हुए उन्होंने कहा कि बोर्ड केवल स्वतंत्र एजेंसी, हिमाचल प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के निर्देशों का पालन कर रहा है। 

उन्होंने कहा कि आयोग ने बोर्ड से अपने कर्मचारियों और पैंशनर्ज को मिलने वाली सैलरी और पैंशन का खर्च कम करने को कहा है क्योंकि हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड का यह खर्च पूरे देश में सबसे अधिक 2.50 रुपए प्रति यूनिट है। आयोग बिजली दरें निर्धारित करता है और बार-बार बोर्ड की आर्थिक समीक्षा कर अपनी कर्मचारी लागत कम करने के निर्देश दे रहा है क्योंकि बोर्ड की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसलिए कुछ श्रेणियों के पदों का युक्तिकरण किया जा रहा है, न कि उन्हें समाप्त किया जा रहा है। आवश्यकता पड़ने पर इन पदों पर दोबारा भर्ती की जाएगी।

प्रवक्ता ने कहा कि आज बोर्ड केवल मात्र विद्युत वितरण कंपनी के रुप में कार्य कर रहा है, जिसका दायित्व प्रदेश के सभी बिजली उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना है। इसके बावजूद बोर्ड के जेनरेशन विंग में वर्तमान में 2161 पद हैं। इनमें जेई के 148 पद, एसडीओ के 102 पद, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर के 19 पद, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर के 6 पद और चीफ इंजीनियर का एक पद शामिल है जबकि कंपनी का मुख्य काम अब बिजली उत्पादन नहीं रह गया है। इनमें सिविल एसडीओ (सिविल) के 7 पद, जेई (सिविल) के 30 पद और एसडीओ (ईलैक्ट्रिक) के 15, जेई (ईलैक्ट्रिक) के 16, एक्सन (ईलैक्ट्रिक) और एसई (ईलैक्ट्रिक) के एक-एक पद का समायोजन किया गया है। इसके अलावा मिस्त्री, डीजी ऑपरेटर, वेल्डर, टेलीफोन एटेंडेंट, गेज रीडर, कुक, फैरो प्रिंटर जैसे पदों की आज कोई आवश्यकता नहीं रह गई है। इन पदों की जगह टी-मैट के पद भरे जाएंगे और यह फैसला बिजली बोर्ड के हित में है।

अनुराग पराशर ने कहा कि कर्मचारी और अधिकारी बोर्ड की रीढ़ हैं, जो अपनी बहुमूल्य सेवाएं कर्मठता से दे रहे हैं। उनकी सेवाओं के देखते हुए ही बोर्ड ने अपने कर्मचारियों एवं पैंशनरों को डीए तथा संशोधित वेतनमान के एरियर के रूप में पिछले दो महीने में 134 करोड़ रूपये जारी किए हैं। पिछले कई वर्षो में इतनी बड़ी धनराशि कभी जारी नहीं की गई। अगर सुधार नहीं किए गए तो बोर्ड की वित्तीय स्थिति गंभीर हो जाएगी और भविष्य में एरियर देने में भी बोर्ड सक्षम नहीं होगा।


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