कहते हैं कि माता श्रीनयनादेवी श्रद्धालुओं की आंखों की रोशनी ठीक करती है, इसलिए श्रद्धालु अपनी आंखों की सलामती के लिए माता के दरबार में चांदी के नेत्र चढ़ाते हैं। जी हां, ऐसा ही एक किस्सा आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसमें जालंधर के श्रद्धालु नागेश्वर जोशी की एक बड़े एक्सीडेंट के बाद भी माता ने आंखों की रोशनी ठीक रखी।
एक दुर्घटना में पूरी तरह से चेहरा और आंखें क्षतिग्रस्त हो गई थीं, उसमें डॉक्टर ने उनकी आंखों की रोशनी सलामत रहने की उम्मीद काफी कम जताई थी, लेकिन परिवार का माता रानी के प्रति विश्वास पूरी तरह दृढ़ निश्चय था। उस समय नागेश्वर जोशी के बड़े भाई राजेश्वर जोशी ने माता से मनौती की थी कि माता श्रीनयनादेवी अगर मेरे भाई के आंखों की रोशनी ठीक रहे, तो मैं चांदी के नेत्र आप के दरबार में चढाऊंगा और चार साल बाद जब भाई ठीक हो गया और आंखों की रोशनी यथावत रही, तो वह अपने परिवार सहित सभी माता के दरबार में आए और मां नयना के चरणों में चांदी के नेत्र अर्पित किए।
आपबीती सुनाते हुए जालंधर निवासी नागेश्वर जोशी ने बताया कि उसका एक बड़ा एक्सीडेंट हो गया था, आंखों का पूरा हिस्सा उसमें पूरी तरह छिन्न-भिन्न हो गया था। डॉक्टर ने काफी कम उम्मीद जताई थी कि की आंखों की रोशनी सलामत रहेगी या नहीं, लेकिन परिवार का माता के प्रति विश्वास था और उन्होंने माता के दर मत्था टेका और मन में मनौती की की माता रानी आंखों की रोशनी ठीक रहेगी, तो आप के दरबार में आएंगे। जैसे ही उनका पूरा इलाज सफल रहा और आखिरकार उनकी आंखों की ज्योति बरकरार रही, तो वे परिवार सहित यहां पहुंचे और मां के चरणों में चांदी के नेत्र अर्पित किए।