कैंसर-एक बढ़ती चिंता’ विषय पर सम्मेलन आयोजित राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि करुणा, सहानुभूति और समुदाय की भावना व्यक्तियों और उनके परिवारों को भावनात्मक सहयोग और ऊर्जा प्रदान कर सकती है क्योंकि उन्हें कैंसर के इलाज के दौरान कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
राज्यपाल आज गेयटी थिएटर, शिमला में सिमला सैनिटेरियम एंड ऑस्पिटल ऑफ सेवेंथ-डे एडवेंटिस्ट्स द्वारा ‘कैंसर-एक बढ़ती चिंता’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि कैंसर एक चिंताजनक विषय है, जिसने दुनिया भर में अनगिनत व्यक्तियों के जीवन पर असर डाला है और मौजूदा चुनौती बन गया है, जो न केवल नैदानिक व्यक्तियों बल्कि उनके परिवारों, दोस्तों और समुदायों को भी बड़े पैमाने पर प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि कैंसर अपने विभिन्न रूपों में एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन गया है और हमें इस पर ध्यान देने, संसाधनों और सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कैंसर में प्रत्येक आंकड़े के पीछे एक व्यक्तिगत कहानी, एक मानवीय चेहरा और इस बीमारी के निरंतर बोझ से प्रभावित एक समुदाय है।
राज्यपाल ने कहा कि हर साल एक करोड़ लोग कैंसर से जान गंवाते हैं। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार कैंसर दुनिया भर में मौत का दूसरा प्रमुख कारण है, जो लगभग छह में से एक मौत के लिए जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा कि चिकित्सा प्रगति के अलावा कैंसर का सामना करने वाले लोगों के लिए भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने व्यापक और सहयोगात्मक दृष्टिकोण पर बल देते हुए कहा कि यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम ऐसी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों की वकालत करें और उनमें निवेश करें जो शुरुआती जांच और हस्तक्षेप को प्राथमिकता देती हैं।
सम्मेलन में यह अवगत करवाया गया कि वर्ष 2020 में इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी), डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी विश्व कैंसर रिपोर्ट से पता चला कि एशिया में इस घातक बीमारी के वैश्विक मामलों का 49.3 प्रतिशत हिस्सा है। इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि 2020 से 2040 तक एशिया में कैंसर के नए मामलों में 59.2 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम रिपोर्ट, 2020 के अनुसार भारत में कैंसर से पीड़ित लोगों की अनुमानित संख्या लगभग 2.7 मिलियन है और हर साल कैंसर के लगभग 1.39 मिलियन मामले पंजीकृत होते हैं, जिसके 2040 तक बढ़कर 20 लाख होने का अनुमान लगाया गया है।
इससे पहले चिकित्सा निदेशक डॉ. जैकब प्रभाकर चिन्द्रुपु ने राज्यपाल का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि सेवेंथ-डे एडवेंटिस्ट दुनिया में सबसे बड़े प्रोटेस्टेंट स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता हैं और 25 से अधिक देशों में 200 से अधिक अस्पतालों और चिकित्सा सुविधाओं का संचालन करते हैं। उन्होंने कहा कि सेनिटोरियम अस्पताल शिमला के सबसे पुराने चिकित्सा संस्थानों में से एक है, जिसकी स्थापना 1914 में हुई थी और एक सदी से भी अधिक समय से यह हिमाचल प्रदेश के बेस अस्पताल और दूर-दराज के क्षेत्रों में समुदायों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहा है।
इस अवसर पर कोलंबिया यूनियन कॉन्फ्रेंस ऑफ सेवेंथ डे एडवेंटिस्ट्स, यूएसए के अध्यक्ष डॉ. डेव वीगली ने राज्यपाल का स्वागत किया और उन्हें सम्मानित किया।
इस अवसर पर भारत और विदेश से कैंसर विशेषज्ञ, संकाय और विभिन्न विभागों के प्रमुख भी उपस्थित थे।