पूर्व मंत्री स्वर्गीय नरेंद्र बरागटा के बेटे चेतन बरागटा ने जुब्बल कोटखाई से आजाद चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। उन्होंने कोटखाई में जहां पर वीरवार को चुनावी रैली करनी थी, वहीं पर टिकट कटने के बाद समर्थकों के साथ रैली की। इस दौरान उनके समर्थकों ने भी कहा कि यह धोखा महज चेतन बरागटा के साथ नहीं बल्कि जुब्बल कोटखाई भाजपा और नरेंद्र बरागटा के परिवार के साथ धोखा है।
रैली के बाद चेतन बरागटा ने समर्थकों के साथ बैठक की। बैठक में लंबी चर्चा के बाद फैसला लिया है कि नामांकन पत्र आजाद प्रत्याशी के तौर पर भरा जाएगा। बैठक में आजाद चुनाव लड़ने के सभी फायदों व नुकसान पर विस्तार से चर्चा की। इसके बाद चुनाव में उतरने का फैसला लिया है। अब वह शुक्रवार को नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। वहीं, चेतन बरागटा का टिकट कटने के बाद से सरकार के एक मंत्री भी खासा नाराज हो गए थे।
उन्होंने तर्क दिया था कि चेतन बरागटा को पिता के निधन के 15 दिन बाद ही चुनावी तैयारी में लगा दिया था। मंत्री की ओर से यह पक्ष मुख्यमंत्री व पार्टी के समक्ष भी रखा गया था। -मेरे परिवार के साथ धोखा किया है। पिता के निधन के 15 दिन बाद ही चुनावी तैयारी में लगा दिया था। मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों के साथ चुनावी तैयारियों में रैलियां व कार्यक्रम किए। इसके बावजूद टिकट न देना महज धोखा है।
कोटखाई से वीरवार को चेतन बरागटा ने अपनी चुनावी हुंकार भरनी थी। इसकी तैयारी बुधवार को पूरा दिन चलती रही। रात में टिकट कटने के बाद वीरवार को यहां पर चुनावी हुंकार भरने की बजाय समर्थकों को संबोधित करते हुए चेतन बरागटा के आंसू निकल गए। उन्होंने मंच से कहा ‘मैंने प्रत्याशी बनाने को नहीं कहा था, पहले खुद साथ घुमाया, अब टिकट काट दिया। मुझे टिकट कटने का दुख है, लेकिन कारण यह दिया कि आप परिवार वाद के दायरे में आते हैं, इसलिए आपको प्रत्याशी नहीं बनाया जा सकता है। यदि ये पैमाना पार्टी में है तो पहले क्यों नहीं बताया’। चेतन बरागटा ने कहा कि टिकट देना भी था तो भाजपा के किसी वरिष्ठ कार्यकर्ता या नेता को देते तो दुख नहीं होता।
चेतन बरागटा ने कहा कि जिस व्यक्ति ने अपनी जान पार्टी के लिए दे दी, उसको भी भूला दिया है। उन्होंने कहा कि पिता नरेंद्र बरागटा सोलन में नगर निगम चुनाव के प्रचार के दौरान कोरोना संक्रमित हुए। उस कारण ही आज वह हमारे बीच में नहीं हैं।