शिमला: कुर्सी की लड़ाई में कांग्रेसी नेताओं के बीच दौड़ लगी है। कोई जनता के बीच दौड़ लगा रहा है तो कोई हाईकमान के दरबार में माथा टेकने दिल्ली दौड़ लगा रहा है। राजनीति में नेता वही होता है, जो जनता के बीच लोकप्रियता हासिल करे। जनता की लोकप्रियता हासिल करने के लिए जनता की मांगों के साथ संघर्ष करना। हाईकमान नेता बना दे और जनता के बीच लोकप्रियता न हो तो कुर्सी ज्यादा दिन रहने वाली नहीं। बस इसी सियासत को समझते हुए जब प्रदेश के दिग्गज नेता कुर्सी के लिए दिल्ली दौड़ लगा रहे हैं तो विधानसभा में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री प्रदेश की जनता के बीच संघर्ष कर रहे हैं। मुकेश अग्निहोत्री का नेता मानकर विधानसभा क्षेत्र के संभावित उम्मीदवार रैलियों के लिए आमंत्रित कर रहे हैं और अग्निहोत्री विधानसभा क्षेत्रों के दौरे कर रहे हैं। अग्निहोत्री का सीधा मकसद विधानसभा क्षेत्रों के रास्ते सरकार बनाना है, जिसके लिए वह जनता के बीच लगातार संघर्ष शील नजर आ रहे हैं।
प्रदेश में हुए लोकसभा और विधानसभा के उपचुनाव में चारों सीटों पर कांग्रेस के जीत के बाद प्रदेश के राजनैतिक समीकरण बदले हैं। कांग्रेस कार्यकर्ता उत्साहित हैं तो सत्ताधारी भाजपा बैकफुट पर है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं के उत्साह को विधानसभा चुनाव तक बनाए रखने के लिए मुकेश अग्निहोत्री लगातार प्रदेश स्तरीय दौरे कर रहे हैं। विपक्ष के नेता की भूमिका निभाते हुए मुकेश अग्निहोत्री सरकार की जनविराधी नीतियों के मुद्दे उठाकर सरकार को घेर रहे हैं तो जनता से वायदे भी कर रहे हैं। पर्यटन विभाग के कन्वेंशन सेंटरों को सरकार के द्वारा प्राइवेट हाथों में सौंपने को मुद्दा बनाकर हिमाचल फॉर सेल के नारे के साथ सरकार को घेरा तो पुलिस कर्मचारियों के वेतन विसंगतियों को हल करने के लिए सरकार पर दवाब बनाया। इसके साथ ही कर्मचारियों से वायदा किया कि कांग्रेस सरकार बनने पर ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने का वायदा किया। इस तरह जनता के बीच संघर्ष करते हुए मुकेश अग्निहोत्री लगातार प्रदेश स्तरीय दौरे कर रहे हैं। उपचुनावों में मिली कांग्रेस की जीत के बाद मुकेश अग्निहोत्री ने सोलन में धनीराम शांडिल्य के साथ सरकार के खिलाफ रैली की तो बड़सर में विधायक इंद्रदत्त लखनपाल के साथ महंगाई के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए रैली की। इसके साथ ज्वाली में चंद्र कुमार के साथ, पालमपुर में विधायक आशीष बुटेल के साथ, ज्वालामुखी में पूर्व विधायक संजय रतन के साथ, गगरेट में पूर्व विधायक राकेश कालिया के साथ तो जसंवा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस नेता सुरेंद्र मनकोटिया के साथ रैली की। विधानसभा क्षेत्रों में लगातार सरकार के खिलाफ महंगाई सहित अन्य मुद्दों को उठाकर रैलियों का आयोजन किया जा रहा है। अभी ऊना जिले की कुटलैहड़ विधानसभा के साथ चिंतपूर्णी में भी रैलियों का आयोजन तय हो गया है। जिससे साफ दिख रहा है कि विधानसभा क्षेत्रों के नेता भी मुकेश अग्निहोत्री को नेता मानकर रैलियों का आयोजन कर रहे हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि मुकेश अग्निहोत्री प्रदेश के नेता बनने की अलग राह चल रहे हैं। सियासत की मजबूत जमीन से ही जनता के नेता बनकर प्रदेश के नेता बना जा सकता है।
कांग्रेस की सियासत में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद नए समीकरण बने हैं। नेता पर रिक्त होने से अब कुर्सी के लिए पार्टी के सीनियर नेताओं के बीच परदे के पीछे युद्ध चल रहा हे। प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पाकर आगे मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में मुकेश अग्निहोत्री के साथ कौल सिंह, मंडी से सांसद प्रतिभा सिंह, रामलाल ठाकुर, आशा कुमारी, सुखविंदर सिंह सुक्खू प्रमुख रुप से दावेदार हैं। कुर्सी पाने के लिए सभी नेता दिल्ली दरबार में बैठे अपने राजनैतिक आकाओं के माध्यम से हाईकमान सोनिया गांधी और राहुल गांधी के दरबार में चक्कर काट रहे हैं। प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला के साथ महासचिव संगठन वेनुगोपाल से भी मिल रहे हैं। वहीं अपनी कुर्सी बचाने के लिए वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर भी दिल्ली दरबार में माथा टेक रहे हैं। कोई नेता अपनी राजनैतिक विरासत की नींव पर कुर्सी के दावेदार कर रहा है तो कोई जातीय समीकरण के साथ वरिष्ठता के दम पर दावेदारी कर रहा है। अब देखना होगा कि हाईकमान कब बदलाव करता है और करता है तो किसे कुर्सी के योग्य मानकर जिम्मेदारी सौंपता है। लेकिन वर्तमान में प्रदेश की सियासत में मुकेश अग्निहोत्री ही जनता के बीच कांग्रेस के नेता के रुप में संघर्ष कर रहे हैं और विधानसभा क्षेत्रों के कांग्रेसी नेता भी मुकेश अग्निहोत्री को नेता मानकर रैलियों के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। कुर्सी के दिल्ली दौड़ लगा रहे नेताओं ने अभी तक प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों में दौरे शुरु नहीं किए हैं वह कुर्सी की चाह में दिल्ली ही दौड़ लगा रहे हैं।