सरकार ने नवगठित शहरी स्थानीय निकायों में प्रिवेंशन आफ डिस्फिगरमेंट अधिनियम लागू किया…

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सार्वजनिक संपत्ति को खराब करने पर जुर्माना और सजा का प्रावधान

हिमाचल की प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने के लिए राज्य सरकार ने नवगठित शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) में हिमाचल प्रदेश ओपन प्लेसेस (प्रिवेंशन आफ डिस्फिगरमेंट) एक्ट, 1985 के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने का फैसला लिया है, जिसका उल्लंघन दंडनीय अपराध है तथा इसके लिए कारावास और जुर्माना लगाया जा सकता है।
यह अधिनियम मूल रूप से सार्वजनिक स्थानों पर विज्ञापनों के अनाधिकृत प्रदर्शन को रोकने के लिए है। इसका उद्देश्य इमारतों, दीवारों, पेड़ों और अन्य सार्वजनिक संपत्तियों पर पोस्टर, नोटिस, चित्र सहित विभिन्न प्रसारण संकेत इत्यादि लगाने को नियंत्रित करना है ताकि क्षेत्र की आभा पर विपरित प्रभाव न पड़े। अधिनियम के प्रावधानों के तहत, संबंधित स्थानीय प्राधिकरण से पूर्व लिखित अनुमति के बिना ऐसा कोई भी विज्ञापन प्रदर्शित नहीं किया जा सकता है।
इस अधिनियम को वर्ष 1985 में शिमला नगर निगम क्षेत्र में लागू किया गया था। इसके बाद, 9 मई, 1991 को जारी एक अधिसूचना के माध्यम से, इसका दायरा राज्य भर में विभिन्न नगर पालिका, अधिसूचित क्षेत्र समितियों और राज्य में अन्य नगर निगमों तक बढ़ा दिया गया। हालांकि, प्रशासनिक उन्नयन और विस्तार के कारण 1991 के बाद अस्तित्व में आए नवगठित शहरी स्थानीय निकायों को अधिसूचना के दायरे में शामिल नहीं किया गया।
सभी लक्षित क्षेत्रों में एक समान कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए, राज्य सरकार ने गत दिनों अतिरिक्त शहरी स्थानीय निकायों में अधिनियम के प्रवर्तन को मंजूरी दी है। इनमें नगर निगम धर्मशाला, पालमपुर, मंडी, सोलन, बद्दी, हमीरपुर और ऊना शामिल हैं। इसके अतिरिक्त नगर परिषद बिलासपुर, घुमारवीं, सुजानपुर टीहरा, देहरा, ज्वालामुखी, नगरोटा बगवां, मनाली, जोगिंदरनगर, नेरचौक, सरकाघाट, रोहड़ू, परवाणू, मैहतपुर, संतोखगढ़, सुन्नी, नादौन और बैजनाथ पपरोला सहित नगर पंचायत ज्वाली, शाहपुर, निरमंड, करसोग, चिड़गांव, नेरवा, कंडाघाट, अंब, टाहलीवाल, बड़सर, संधोल, धर्मपुर, बलद्वाड़ा, भोरंज, खुंडियां, नगरोटा सूरियां, कोटला, झंडूता, सवारघाट, बनीखेत, कुनिहार, बंगाणा और शिलाई भी शामिल हैं।
प्रदेश सरकार राज्य में विभिन्न शहरी क्षेत्रों और नगरों की प्राकृतिक सुंदरता को बनाये रखने के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। इस अधिनियम के सख्ती से लागू होने से सर्वाजनिक सम्पत्तियों पर न केवल अनाधिकृत विज्ञापन को रोकने बल्कि इन क्षेत्रों की प्राकृतिक सुन्दरता को बनाये रखने में भी मदद मिलेगी।


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