दो माह से अदाणी कंपनी के साथ चल रहा सीमेंट मालभाड़ा विवाद आखिरकार खत्म हो गया है। सोमवार को सचिवालय में हुई मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू, दाड़लाघाट और बरमाणा के ट्रक मालिकों, कंपनी प्रबंधन की वार्ता में मालभाड़े पर सहमति बन गई है। वार्ता के बाद मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने पत्रकार वार्ता में इसकी जानकारी दी। कहा कि अदाणी कंपनी सिंगल एक्टस ट्रक का 10.30 रुपये और डबल एक्सेल का 9.30 रुपये प्रति किलोमीटर प्रति क्विंटल मालभाड़ा देने पर सहमत हो गई है। सीएम ने कहा कि उनकी अदाणी समूह के सीईओ से बात हुई है और उन्होंने मालभाड़े पर सहमति जताई है। कहा कि मालभाड़े की वार्षिक बढ़ोतरी में पुराना फॉर्मूला लागू रहेगा। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि मंगलवार से दोनों सीमेंट प्लांट शुरू हो जाएंगे। उन्होंने ट्रक ऑपरेटरों, प्रशासन व अदाणी समूह को इस विवाद को सुलझाने के लिए बधाई दी। ट्रक ऑपरेटरों की बाकि मांगें डीसी के स्तर पर हल की जाएंगी।
मामले में कब क्या हुआ
14 दिसंबर को अदाणी समूह ने घाटे का हवाला देते हुए बरमाणा स्थित एसीसी और दाड़लाघाट में अंबुजा सीमेंट प्लांट में तत्काल प्रभाव से सभी गतिविधियां बंद कर दीं। बरमाणा स्थित प्लांट हेड ने नोटिस जारी कर सभी कर्मचारियों को ड्यूटी पर आने से इनकार कर दिया। इस फैसले से बरमाणा में काम करने वाले 980 कर्मचारियों और करीब 3,800 ट्रक ऑपरेटरों पर रोजगार का संकट खड़ा हो गया। बरमाणा करीब 2,300 ट्रक बीडीटीएस और 1,500 ट्रक पूर्व सैनिकों के सीमेंट ढुलाई करते हैं। दूसरी ओर दाड़लाघाट में 3500 से अधिक ट्रांसपोर्टर सड़कों पर आ गए। एसीसी सीमेंट प्लांट बरमाणा में काम बंद होने से 10,000 परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया। इसके विरोध में 16 दिसंबर को ट्रक ऑपरेटरों ने आंदोलन शुरू कर दिया। दाड़लाघाट और बरमाणा के ट्रक ऑपरेटरों ने पैदल मार्च निकाला और प्रदर्शन किए। सरकार ने बिना पूर्व सूचना सीमेंट प्लांट बंद करने पर कंपनी प्रबंधन को नोटिस भी जारी किए। बता दें 65 दिन के बाद दाड़लाघाट और बरमाणा ट्रक मालिकों और कंपनी प्रबंधन के बीच मालभाड़े को लेकर सहमति बनी है। इससे पहले भी कई दौर की वार्ता सीएम की अध्यक्षता में ट्रक मालिकों और कंपनी प्रबंधकों के बीच हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। अब कई दौर की वार्ता के बाद सरकार की मध्यस्थता में ट्रक ऑपरेटर व अदाणी समूह मालभाड़े पर एकमत हुए हैं। प्लांट बंद होने से सरकार को हर दिन करीब दो करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा था।